उपाए एवं टोटके भाग-१ (Upaye Evam Totke Part-1 )

  • लक्ष्मी प्राप्ति हेतु – शुक्रवार के दिन आटे की छोटी छोटी ७ गोलियाँ चने के आकार जितनी बना कर उन पर केसर से ‘श्रीं’ चांदी की कलम से या अनार की कलम से लिखे। गोलियाँ ज्यादा कितनी भी बनाई जा सकती है। इन गोलियों को मछलियों को खिला दे। इस प्रकार करने पर महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है और धन सबंधित समस्याओ का शीघ्र निराकरण होता है।
  • लक्ष्मी प्राप्ति हेतु – किसी भी शुक्रवार की रात्री को हाथी दन्त पर कुंकुम से ‘श्रीं’ लिख कर श्रीसूक्त कर इसे लाल कपडे मे लपेट कर तिजोरी मे रख देने पर निरंतर लक्ष्मी कृपा बनी रहती है।
  • यात्रा विघ्न एवं कार्य सिद्धि – कभी भी किसी महत्वपूर्ण कार्य या व्यापार हेतु शहर से बहार जाना पड़े तो घर से बहार जाते समय अपने हाथ में साबुत मुंग के कुछ दाने लें। ध्यान रखें टुटा हुआ दाना न लें। दरवाज़े के पास रुक कर उन दानो को हाथ में ले कर साधक निम्न मन्त्र को ७ बार बोले और फूंक मारे.
    ॐ श्रीं ह्रीं सर्वविघ्न विनाशाय सर्व कार्य सिद्धिं नमः
    इसके बाद साधक बहार निकले तथा उन मुंग के दानो को घर के बहार फेंक दें और यात्रा का प्रारम्भ करे। इस प्रकार करने से साधक के रस्ते में आने वाले सभी विघ्न समाप्त होते है तथा कार्य में होने वाली बाधा का निराकरण प्राप्त होता है.
  • कार्य सिद्धि – अगर शुभ कार्य में बाधा आती हो या विलम्ब होता हो तो रविवार को भैरवजी के मंदिर में सिंदूर का चोला चढ़ा कर बटुक भैरव स्त्रोत का एक पाठ कर के गाय, कौआ और काले कुत्तों को खाना देने स आ रही बाधाएं नष्ट हो जाती हैं ।
  • ग्रह पीडा मुक्ति – मंगलवार के दिन साधक आधामीटर लाल रंग केकपडे यथा शक्ति अमुसार गेहूं और कुछ पैसे दाल कर एक पोटली बना लें। सूर्यास्त के बाद किसी हनुमान मंदिर में मूर्ति को स्पर्श करवा कर वह पोटली को ब्राह्मण को या किसी ज़रूरत मंद व्यक्ति को दक्षिणा रूप में अर्पित करने से साधक को ग्रह सबंधित पीड़ा से राहत मिलती है।
  • कार्य बाधा से मुक्ति – घर या दुकान पर गणेश जी का ऐसा चित्र लगाएं जिसमें उनकी सूंड दायीं ओर मुड़ी हुई हो। गणेश जी के इस चित्र के आगे लौंग तथा सुपारी रखें । जब भी कहीं काम पर जाना हो, तो एक लौंग तथा सुपारी को साथ ले कर जाएं तो काम सिद्ध होगा। लौंग को चूसें तथा सुपारी को वापस ला कर गणेश जी के आगे रख दें तथा जाते हुए कहें गणेश काटो कलेश। ऐसा करने से रुके हुए काम पूरे हो जाएंगे ।
  • सर्व कष्ट एवं बाधा निवारण – पीपल के ऐसे पेड को ढूंढें जो नदी या स्मशान के किनारे हो। रविवार को सूर्यास्त के समय उस पेड के पास एक दीपक प्रज्वलित कर कुमकुम हल्दी तथा अक्षत समर्पित करे। भोग के लिए खीर रखे तथा ११ प्रदक्षिणा करे। यह प्रदक्षिणा घडी की दिशा में अर्थात बाएँ से दाएँ तरफ होनी चाहिए. इसके बाद अपने कष्टों के निवारण हेतु प्रार्थना करे तथा वहां से चले जाएं। धियान रहे के पीछे मुड़ कर ना देखे। किसी निर्जन स्थान में यह प्रयोग करने से शीघ्र सफलता मिलती है और कष्टों का निवारण होता है। अगर कार्य आदि में बार बार बाधा आ जाती है या कोई काम रुक गया है तब साधक को समाधान की प्राप्ति होती है। यह प्रयोग एक से ज्यादाबार भी किया जा सकता है।
  • मान सन्मान में वृद्धि हेतु – रविवार के दिन स्नान आदि से निवृत हो कर सफ़ेद वस्त्र धारण करें और सूर्योदय के समय सूर्य के सामने देखते हुवे बीज मन्त्र ‘ह्रीं’ का १०८ बार जाप करे इसके लिए कोई भी विशेष माला की आवश्यकता नहीं है। इसके लिए स्फटिक या रुद्राक्ष की माला का प्रयोग भी कर सकते हैं। सूर्य को अर्ध्य प्रदान करने के बाद बीज मन्त्र ‘ह्रीं’ का जाप करते हुवे ही सफ़ेद रंग के चन्दन से अपने मस्तक पर तिलक करे। इस प्रकार साधक यह क्रिया एक या कई रविवारों तक कर सकता है। यह अद्भुत प्रयोग है जिससे साधक के मान सन्मान में अपार वृद्धि होती है। साधक को ध्यान रखना है की तिलक ऐसे ही नहीं लगाना है तिलक लगाते समय बीज मंत्र ‘ह्रीं’ का जाप होना इस प्रयोग में आवश्यक है तथा तिलक सूर्य देव के सामने ही लगाना है।
  • शत्रु स्तंभन – साधक को कौए का एक पंख लेकर शनिवार की रात्री में उस पंख पर सिन्दूर से शत्रु का नाम लिखे तथा निम्न मन्त्र का १०८ बार पाठ करे। इसके लिए कोई भी माला की ज़रूरत नहीं है। मुख दक्षिण दिशा की तरफ होना चाहिए किसी भी प्रकार के वस्त्र या आसन आदि का विधान नहीं है।
    ॐ क्रीं शत्रु उच्चाटय उच्चाटय फट्
    इसके बाद उस पंख को ले जा कर स्मशान में या स्मशान के किनारे जला दे तथा घर आ कर स्नान कर ले। इस प्रकार करने से शत्रु का स्तम्भन होता है तथा शत्रु भविष्य में कभी परेशान नहीं करता।
  • सुख शांति हेतु – किसी भी पूर्णिमा के दिन एक नारियल ले कर उस पर कुमकुम से स्वस्तिक का निर्माण करें। इसके बाद उस नारियल को लाल वस्त्र में लपेट कर पुरे घर में घुमाएँ। घर में सुख शांति के लिए मन ही मन भगवान विष्णु को प्रार्थना कर ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ का मन ही मन ११ बार उच्चारण कर के उस नारियल को नंगे पाँव किसी नदी या समुन्दर में प्रवाहित कर दे। इससे घर में सुख शांति की वृद्धि होती है
  • शत्रु बाधा हेतु – किसी भी बुधवार की रात्री में या शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को चमेली की जड़ या उसका एक टुकड़ा ले कर सुर्यस्स्त के समय उसको घूप दे कर उसका पूजन करे। पूजन के बाद उत्तर दिशा की तरफ मुख कर के बैठ जाए तथा निर्वस्त्र हो कर उसके सामने बिना किसी माला के ‘ॐ वशमानय फट’ का १०८ बार उच्चारण करे। यह क्रिया कहीं पर भी की जा सकती है लेकिन मंत्र जाप के समय किसी की नज़र आप के ऊपर पर न पड़े। यह क्रिया कर लेने पर साधक को वह टुकड़ा किसी धागे में बांध कर या तावीज़ में भर कर पहन लेना चाहिए। सुबह तक उसे धारण करना चाहिए। सुबह तावीज़ को निकाल कर या बांधे हुवे टुकड़े को खोल कर किसी पात्र में शहद ले कर उसमे वह तावीज़ डुबो दे। उसके बाद शहद को फेंक दे और तावीज़ को या जड़ को नदी, तालाब, समुन्दर में विसर्जित कर दे। इससे शत्रुबाधा का निराकरण हो जाता है और कठोर ह्रदय शत्रु भी वश हो कर मित्रता के लिए हाथ बढ़ा देता है।
  • उन्नति हेतु – किसी भी रविवार के दिन प्रातः सूर्योदय के समय एक कटोरे में शुद्ध पानी भर कर सूर्य के प्रकाश में पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठ जाएँ और शुद्ध पानी के कटोरे में अपने प्रतिबिम्ब को देखते हुए ‘ ॐ ह्रीं सूर्याय नमः ‘ का १०८ बार जप करें। इसमें माला, आसान एवं वस्त्र आदि का कोई विधान नहीं है। मंत्र जप के बाद अपने मन से अपनी उन्नति के लिए भगवान सूर्यदेव को प्रार्थना करे और उस पानी को किसी वृक्ष या पौधे की जड़ में दाल दें। इस प्रयोग से उन्नति के सारे द्वार खुल जाते हैं।
  • विपदा निवारण – किसी भी शुभ दिन पीपल का एक पत्ता ले कर उसके ऊपर कुमकुम से ‘ ह्रीं ‘ लिखे और उस ह्रीं बीज पर एक सुपारी रखे। इसके बाद मन ही मन ‘ ह्रीं ‘ का उच्चारण जितना भी संभव हो उतना करे। कम से कम १०८ बार करना ही चाहिए। मंत्र उच्चारण के बाद उस पत्ते को तथा सुपारी को किसी एकांत स्थान में रख दे या जल में प्रवाहित कर दे। इस प्रयोग से शीघ्र ही अपने ऊपर आई हुई विपदा या अज्ञात आशंका का समाधान प्राप्त होता है.
  • व्यापार में उन्नति – अगर आपका व्यापारिक स्थल उन्नति नहीं दे रहा है तो एक नीबू लेकर उसे अपने प्रतिष्ठान के चारों ओर घुमाएँ तथा बहार लाकर चार भाग में काट कर फ़ेंक दे। इस प्रयोग से आपके व्यापरिक स्थल की उन्नति में आ रहे अवरोध शीघ्र समाप्त हो जायेंगे।
  • व्यापार बढ़ाने हेतु – यदि ग्राहक कम आते हैं अथवा आते ही न हों तो सोमवार को सफेद चन्दन को नीले डोरे में पिरो लें तथा २१ बार दुर्गा सप्तशती के निम्न मन्त्र से अभिमंत्रित करें:-
    “ॐ दुर्गे! स्मृता हरसि भीतिमशेष-जन्तोः, स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव-शुभां ददासि ।
    दारिद्र्य-दुःख-भय-हारिणि का त्वदन्या, सर्वोपकार-करणाय सदाऽऽर्द्र-चित्ता । “
    अब अभिमन्त्रित चंदन को पूजा स्थल पर स्थापित कर दें या कैश-बॉक्स में स्थापित कर दें।
  • लक्ष्मी हेतु – शुक्ल पक्ष से आरम्भ कर हर बुधवार एक पीला केला गाय को खिलाया जाये तो यह धन दायक होता हैं। यह एक सामान्य प्रयोग है परन्तु बहुत प्रभावशाली है।
  • स्वपन दोष से मुक्ति – धतूरे की जड़ को अपनी कमर में बाँधने से व्यक्ति विशेष स्वपन दोष की पीड़ा से मुक्ति पा सकता है।
  • सिरदर्द से छुटकारा – सूर्योदय से पहले किसी भी चोराहे पर जाकर थोडा सा गुड चबा कर थूक दें और किसी से बात किये बिना अपने घर आ जाये। लौटते समय पीछे मुड़कर न देखें आपकी सिरदर्द की बीमारी में यह लाभदायक होगा।
  • दोष मुक्ति – किसी भी शुक्रवार को यदि तेल में थोडा सा गाय का गोबर मिला कर अपने शरीर की मालिश कर स्नान कर लिया जाये, तो यह व्यक्ति के विभिन्न दोषों को दूर करने में सहयोगी होता हैं।
  • क्लेश निवारण – घर मे क्लेश का वातावरण अचानक से हो जाए तो थोडा नमक ले कर उसे अपने कंधे पर रख कर उत्तर दिशा की तरफ मुख कर ११ बार ” ॐ उत्तराय सर्व बाधा निवारणाय फट्” मंत्र का उच्चारण करे और उस नमक को फिर हाथ मे ले कर घर के बहार थोड़े दूर कही रख दे तो घर मे क्लेश का वातावरण दूर होता है।
  • व्यापर वृद्धि हेतु – व्यापर वृद्धि के लिए व्यक्ति को अपने व्यापर स्थान पर एक अमरबेल लगाकर उसे रोज पानी देना चाहिए। उस अमरबेल को अगरबत्ती दिखा कर कोई भी लक्ष्मी मंत्र का जाप करने पर, उस लक्ष्मी मंत्र का प्रभाव बढ़ता है और व्यापर में वृद्धि होती है।
  • उपरीबाधा निवारण – अगर घर मे उपरीबाधा या इतरयोनी की शंका हो तो शाम के समय धूप जलाए और पुरे घर मे ” हं रुद्ररूपाय उपद्रव नाशय नाशय फट्” इस मंत्र का उच्चारण करते हुए घुमा। ऐसा कुछ दिन करने पर उपरीबाधा समाप्त हो जाती है।
  • औषधि न लगने हेतु – किसी भी प्रकार की औषधि लेने से पूर्व उसे अपने सामने रख कर १०८ बार “ॐ धनवन्तरि सर्वोषधि सिद्धिं कुरु कुरु नमः” मंत्र का जाप कर उसके बाद उसको सेवन के लिए उपयोग किया जाए तो उसका प्रभाव बढ़ता है। इस प्रयोग से औषधि आपके शरीर को शीघ्र ही
  • नौकरी हेतु – नौकरी प्राप्त करने हेतु जब जाना हो उसके एक दिन पहले किसी मज़ार पर जा कर सफ़ेद मिठाई बच्चो मे बांट कर मज़ार पे दुआ करे और एक हरे रंग का धागा बिछे हुए कपडे से निकाले। घर पर आ कर उसे लोहबान का धुप लगाए और ” अल्लाहु मदद” ऐसा ८८ बार जाप करे और फूंक मारे इस धागे को अपनी जेब मे रखकर जाए अवश्य सफलता मिलेगी।
  • पितृ दोष निवारण – जीवन की अनेको समस्याए जो लगातार सामने आती रहती हैं उसके निराकरण के लिए व्यक्ति यहाँ वहां भटकता रहता हैं पर यदि किसी भी अमावस्या को किसी भी गरीब व्यक्ति को भोजन कराएं और उसे वस्त्र और दक्षिणा दे तो उसके पितृ वर्ग प्रसन्न होते हैं और उनकी प्रसन्नता एवं आशीर्वाद पाने से आपके जीवन के सर्व कार्य सफल होना प्रारंभ हो जायेंगे।
  • पितृ शांति – यदि व्यक्ति हर अमावस्या को भोजन ग्रहण करने से पूर्व कुछ भाग अपने पितृों को अर्पित करता हैं तो उनके आशीर्वाद से अत्यधिक अनुकूलता उसे अर्जित होती है और पितृ दोष शांत होता है।
  • कुल देवता के आशीर्वाद हेतु – कुछ ऐसी ही स्थिति हम सभी कि कुल देव या कुलदेवी के बारे मे हैं साधारणतः सिर्फ कुछ लोगों को छोड़ दें तो त्यौहार के अलावा उनकी याद भी कोई नही करता। पर किसी भी काम पर जाने से पहले यदि विधिवत उनका पूजन हो उनका आशीर्वाद आपकी सफलता का मार्ग और सरल कर देगा.
  • सुख शांति हेतु – घर की सुख शांति बनाए रखने के लिए काले कुत्ते को जो भगवान भैरव का वाहन माना जाता हैं उसे सरसों के तेल मे लगी रोटी और उसमे थोडा सा काली उडद की दाल मिलाकर खिलाए तो बहुत अनुकूलता होगी पर यह शनिवार को करना अधिक लाभदायक हैं।
  • रोग शांति हेतु – घर के सदस्यों की संख्या + घर आये अतिथियों की संख्या + दो-चार अतिरिक्त गुड़ की बनी मीठी रोटियां प्रत्येक माह कुत्ते तथा कौए इत्यादि को खिलानी चाहिए। इससे साध्य तथा असाध्य दोनों ही प्रकार के रोगों की शांति होती है। यह रोटी केवल तन्दूर या अग्नि पर ही बनाएं तवे आदि पर नहीं।
  • रोग शांति हेतु – शनिवार को सूर्यास्त के समय हनुमानजी के मन्दिर जाकर हनुमान जी को साष्टांग दण्डवत् करें तथा उनके चरणों का सिन्दूर घर ले आयें। तत्पश्चात् निम्न मंत्र से उस सिन्दूर को अभिमन्त्रित करें :
    वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये ।
    अब उस सिन्दूर को रोगी के माथे पर लगा दें ।

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ज्योतिष आचार्या
ममता वशिष्ट
अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक
कालका ज्योतिष अनुसन्धान संसथान

 

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