कालसर्प दोष के सामान्य उपाए (Kaal Sarap Dosh Ke Samanya Upaye)
जिस जातक की कुंडली में कालसर्प योग होता है उसके जीवन में अनेक उतार चढ़ाव आते हैं। कालसर्प दोष से पीड़ित जातक को ४८ वर्ष तक बहुत संघर्ष करना पड़ता है। ४८ वर्ष के बाद धीरे धीरे परस्थितियां बदलती हैं परन्तु लगभग सारा जीवन संघर्ष में ही निकल जाता है। इसलिए कालसरान दोष के उपाए अवश्य कर लेने चाहिए। आइये जानते हैं कालसर्प के कुछ सामान्य उपाए :
- देवदारु, सरसों तथा लोहवान को उबालकर उस पानी से सवा महीने तक स्नान करने से कालसर्प दोष से रहत मिलती है।
- नाग पंचमी तथा माह में आने वाली दोनों पंचमी को “ॐ कुरुकुल्ये हुं फट् स्वाहा” का अवश्य जाप करें। इससे कालसर्प दोष शांत होता है।
- शुभ मुहूर्त में बुधवार या शनिवार को राहु कल में बहते पानी में कोयला तीन बार प्रवाहित करें। कालसर्प दोष की शांति होगी।
- हनुमान चालीसा का १०८ बार पाठ करें। कालसर्प योग के कारन चली आ रही जीवन की सारी अस्थिरताएँ समाप्त होंगी।
- श्रावण मास में ३० दिनों तक महादेव का अभिषेक करने से कालसर्प दोष की पीडा समाप्त होती है।
- राहु की दशा आने पर प्रतिदिन एक माला राहु मंत्रा का जाप करें और जाप की संख्या १८ हजार हो जाने पर राहु की मुख्य समिधा दुर्वा से पूर्णाहुति हवन कराएं और किसी गरीब को उड़द की दाल व नीले वस्त्रा का दान करें। इससे कालसर्प दोष की शांति होगी।
- नव नाग स्तोत्रा का एक वर्ष तक प्रतिदिन पाठ करें। कालसर्प दोष के दुष्प्रभाव काम होने लगेंगे।
- ७२ बुधवार काले वस्त्र में साबुत उड़द या मूंग एक मुट्ठी डालकर राहु का मंत्रा जप कर दान दें। यदि दान लेने वाला न मिले तो बहते जल में प्रवाहित करें।
- शुभ मुहूर्त में मुख्य द्वार पर चांदी का स्वस्तिक लगाएं एवं दोनों ओर धातु से निर्मित नाग चिपकाने से कालसर्प दोष से रहत मिलती है।
- ८६ शनिवार का व्रत करें और राहु, केतु व शनि के साथ हनुमान की आराधना करें। हनुमान जी को मंगलवार को चौला चढ़ायें और शनिवार को श्री शनिदेव का तैलाभिषेक करें। कालसर्प दोष के दुष्प्रभाव काम होने लगेंगे।
- हनुमान चालीसा का १०८ बार पाठ करें और पांच मंगलवार का व्रत करते हुए हनुमान जी को चमेली के तेल में घुला सिंदूर व बूंदी के लड्डू चढ़ाएं। सभी समस्याएं समाप्त होंगी।
- सवा महीने तक जौ के दाने पक्षियों को खिलाएं और प्रत्येक शनिवार को चींटियों को शक्कर मिश्रित आटा उनके बिलों पर डालने से समस्याओं का समाधान होता है।
- शुक्ल पक्ष के प्रथम शनिवार से व्रत प्रारंभ कर १८ शनिवारों तक व्रत करें और काला वस्त्रा धारण कर १८ या ३ माला राहु के बीज मंत्रा का जाप करें। फिर एक
- बर्तन में जल दुर्वा और कुशा लेकर पीपल की जड़ में चढ़ाएं। भोजन में मीठा चूरमा, मीठी रोटी, समयानुसार रेवड़ी तिल के बने मीठे पदार्थ का सेवन करें और यही वस्तुएं दान भी करें। रात में घी का दीपक जलाकर पीपल की जड़ में रख दें। कालसर्प दोष शांत होगा।
- शनिवार को लाल कपड़े में आठ मुट्ठी भिगोया चना व ग्यारह केले सामने रखकर हनुमान चालीसा का १०८ बार पाठ करें और उन केलों को बंदरों को खिलाने से कालसर्प दोष की शांति होती है।
- श्रावण के महीने में प्रतिदिन स्नानोपरांत ११ माला ‘ॐ नम: शिवाय’ मंत्रा का जप करने के उपरांत शिवजी को बेलपत्र, गाय का दूध तथा गंगाजल चढ़ाएं तथा सोमवार का व्रत करें। कालसर्प दोष में बहुत लाभकारी है।
- शुभ मुहूर्त में बहते पानी में मसूर की दाल सात बार प्रवाहित करें और उसके बाद लगातार पांच मंगलवार को व्रत रखते हुए हनुमान जी की प्रतिमा पे चमेली के तेल में घुला सिंदूर अर्पित करें और बूंदी के लड्डू का भोग लगाकर प्रसाद वितरित करें। अंतिम मंगलवार को सवा पाव सिंदूर सवा हाथ लाल वस्त्रा और सवा किलो बताशे तथा बूंदी के लड्डू का भोग लगाकर प्रसाद बांटने से कालसर्प योग के कारन चली आ रही जीवन की सारी अस्थिरताएँ समाप्त होंगी।
- अपने सोने वाले कमरे में लाल रंग के पर्दे, चादर व तकियों का प्रयोग करें और २४ मोरे पंखों का झाड़ू रखें। कालसर्प दोष के कारन चली आ रही मानसिक अशांति समाप्त होगी।
- श्रावण मास के प्रत्येक सोमवार को दही से भगवान शंकर पर ”ओउम् हर हर महादेव” कहते हुए अभिषेक करने से कालसर्प दोष शांत होगा।
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ज्योतिष आचार्या
ममता वशिष्ट
अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक
कालका ज्योतिष अनुसन्धान संसथान