जानिए ब्रेस्ट कैंसर के ज्योतिषीय कारन (Janiye Breast Cancer Ke Jyotishiye Karan)
महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर की घातक बीमारी आजकल बेहद सामान्य हो चुकी है। यह रोग महिलाओं के जीवन को नारकीय बना देता है। आजकल दुनियाभर की महिलाओं में इस जानलेवा बीमारी को लेकर काफी जागरुकता बढ़ी है। इस बीमारी का अंदाज़ा उस स्टेज में लग पाता है जबकि वो हद से ज्यादा बढ़ चुकी होती है और उपचार के प्रयास नाकाफ़ी सिद्ध होते हैं। स्तन कैंसर होने पर पहले या दूसरे चरण में ही इसका पता चल जाने से सही समय पर इसका इलाज संभव है। तीसरे चरण में पहुँचने पर ब्रैस्ट कैंसर का उपचार बहुत मुश्किल है। बढ़ता प्रदूषण, अनियमित जीवनशैली और खानपान में रासायनिक पदार्थों का इस्तेमाल हजारों महिलाओं के लिए स्तन कैंसर के रूप में एक बड़ी चुनौती बन चुका है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि चिकित्सकीय उपायों की बजाय किन और विकल्पों से ब्रेस्ट कैंसर की संभावना का पता वक्त से काफी पहले लगाया जा सकता है, जिससे कि इस रोग को पनपने से ही रोका जा सके। ज्योतिष शास्त्र में सभी रोगों की संभावना का पता लगाने की सटीक पद्धति मौज़ूद है। परन्तु इसके लिए जन्म समय, जन्म तिथि तथा जन्म स्थान का पता होना आवश्यक है। आइए अब जानते हैं कि किन ग्रहों, नक्षत्रों और भावों की कैसी स्थिति में ऐसे जानलेवा बीमारी की संभावना बलवती होती है।
लग्न पूरे शरीर का प्रतिनिधि करता है जबकि चतुर्थ भाव शरीर में सीने की स्थिति का द्योतक है। वहीं छठा भाव रोग का प्रतिनिधि है। चंद्र स्तन के लिए कराका है। दूसरा, छठा और दसवां घर मांस पर शासन करता है। मां के स्तनों में दूध की अपर्याप्तता से संबंधित कोई भी बीमारी चौथे घर एवं दसवें घर तथा उनके स्वामी, कर्क और मकर राशि, चंद्रमा आदि के कारण होती है। मंगल ग्रह स्तन ग्रंथियों के लिए कराका है। शुक्र सभी ग्रंथि-रोगों के लिए कराका है। स्तन कैंसर के कई कारन हो सकते हैं आइए उनमें से कुछ योगों के बारे में जानते हैं।
सबसे पहले यह देखना आवश्यक है के लग्न, लग्नेश और लग्न के कारक की अवस्था मजबूत है या वे पीड़ित अवस्था में हैं।
दुसरे स्थान पैट चतुर्थ भाव, उसके स्वामी तथा उसके कारक की स्थिति को देखें के वह किन अवस्थाओं में हैं, इसे जानना आवश्यक है।
तीसरे स्थान पर रोग भाव यानि छठे भाव को देखें, छठा भाव, उसके अधिपति तथा उसके कारक की स्थिति पर दृष्टिपात करें।
- यदि किसी जातिका की कुण्डली में लग्नेश अष्टम, षष्टम अथवा द्वाद्श में चला गया हो, लग्न स्थान पर क्रूर व पापी ग्रह बैठे हों।
- यदि चतुर्थ स्थान का अधिपति शत्रुगृही होकर पीड़ित हो।
- यदि छठे भाव का अधिपति चतुर्थेश से संबंध बना रहा हो तो ऐसी स्थिति में जातिका को ब्रेस्ट कैंसर या स्तनों में बड़े विकार की संभावना प्रबल रूप से मौज़ूद होती है।
- यदि ६ भाव का स्वामी ६, ८, १० या १२वें भाव में हो।
- यदि किसी जातिका की कुंडली में छठे या आठवें भाव में कोई क्रूर ग्रह स्थित हो तो उसे असाध्य रोग होने की आशंका होती है।
- यदि किसी जातिका के चतुर्थ भाव में क्रर ग्रहों का योग हो तो सीने में दर्द एवं बड़े रोगों की ओर इशारा करता है।
- यदि किसी जातिका की कुंडली का लग्न कमजोर हो और उस पर क्रूर ग्रहों की दृष्टि हो अथवा वहां ऐसे ग्रह विराजमान हों जो शुभ फल देने में सक्षम न हों और उसके साथ ही छठा भाव भी श्रेष्ठ परिणाम न देने वाला हो, चंद्र की स्थिति प्रभावी न हो तो महिला को स्तन कैंसर हो सकता है।
- यदि किसी जातिका की कुंडली में लग्नेश स्वस्थान से आठवें, छठे या बारहवें भाव में हो एवं लग्न के स्थान पर क्रूर ग्रह बैठे हों तो चौथे स्थान का स्वामी शत्रु के घर में विराजमान हो और छठे का मालिक चौथे से संबंध बनाए तो स्तन संबंधी कोई बड़ा रोग देता है।
यदि ऐसी किसी जातिका को समस्या का सामना करना पड़ रहा हो तो किसी विशेषज्ञ से कुंडली दिखा कर निश्चित रूप से उसे ये बात पता करनी चाहिए कि किन ग्रहों या भावों के दूषण की वजह से रोग सृजित हुआ है। इसमें कोई संदेह नहीं के उस ग्रह विशेष की मजबूती या शांति के उपाय कर निश्चित रूप से रोग से मुक्ति पाने में बड़ी सहायता मिलेगी।
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ज्योतिष आचार्या
ममता वशिष्ट
अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक
कालका ज्योतिष अनुसन्धान संसथान