कुंडली में चंद्रमा का प्रभाव (Kundli Mein Chandrama Ka Prabhav)

          चंद्रमा मन का करक है और चौथे भाव में दिग्बली होता है। चंद्रमा कर्क राशि में उच्च का तथा वृश्चिक राशि में नीच का फल देता है। चंद्रमा का मन पर पूर्ण प्रभाव होता है। किसी भी जातक के मन की स्थिति उसकी कुंडली में चंद्रमा और चंद्रमा पर पड़ने वाले प्रभावों से जानी जाती है। कर्क लग्न वालों के लिए चंद्रमा सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है क्योंकि कर्क लग्न में खुद लग्नेश होकर चंद्रमा मन और शरीर दोनों का पूरी तरह से प्रतिनिधित्व करता है।
          चंद्रमा का प्रभाव कर्क लग्न वालों पर ज्यादा होने से कर्क लग्न वाले जातक अधिक भावुक होते है। मन के करक चंद्रमाकी शुभाशुभ स्थिति के अनुसार ही जातक का मन प्रभावित होता है। चंद्रमा पर शुभ ग्रहो के प्रभाव से मन को शांति और सुख का अनुभव होता है। इसके विपरीत चंद्रमा अशुभ ग्रहों के साथ हो या दृष्टि सम्बन्ध हो हो जातक का मन सदैव अशांत व दुखी रहता है।
          शनि राहु केतु चंद्रमा के ग्रहो में सबसे बड़े शत्रु ग्रह हैं और नैसर्गिक रूप से ये पापी ग्रह भी है। जब मन के करक चंद्रमा पर शनि राहु केतु का प्रभाव पड़ जाता है तब जातक के मन की शांति भंग हो जाती है। कितने भी सुख सुबिधा के साधन पास क्यों न हो फिर भी मानसिक सुख और संतुष्टि जीवन में कभी नही मिल पाती।
          चंद्रमा का राहु केतु से सम्बन्ध होने पर ग्रहण योग बन जाता है जो जातक को सदैव मानसिक तनाब में रखता है ऐसे व्यक्ति सोचते ज्यादा है। ऐसी स्थिति में जातक नकारात्मक सोच अधिक रखता है। मन की उदासी और नीरसता जातक के मन में जीवन को नष्ट करने की भावना उत्पन्न करती हैं।
          यदि शनि का प्रभाव चंद्रमा पर हो तो यह विषयोग बनता है। यह स्थिति भी जीवन भर जातक को मानसिक रूप से बेचैन रखती है ऐसे व्यक्ति जीवन में कोई भी काम करना चाहे तो आसानी से वह काम नही हो पाता। मन उदासी से भरा रहता है। जातक की माता को भी इस योग के कारन अधिक कष्ट उठाने पड़ते हैं।
          शनि राहु केतु तीनो ग्रहो का चंद्रमा पर युति दृष्टि प्रभाव सबसे अशुभ होता है। शनि राहु केतु तीनों के संयुक्त प्रभाव से चंद्रमा बहुत अधिक दुष्प्रभाव में आ जाता है।ऐसी स्थिति में मन अस्थिर रहता है जातक करना कुछ चाहता है और कर कुछ बैठता है। डिप्रेशन का रोग होना निर्धारित होता होता है और जातक आत्महत्या का प्रयास भी करता है। चंद्रमा पाप ग्रहों के सम्बन्ध बनाये तो मन में एकाग्रता की कमी होती है। इतने ज्यादा दूषित प्रभाव से ग्रसित जातक हर समय अपने आप को अकेला महसूस करता है भले ही वह अकेले न हो फिर भी मन में यह भावना बनी रहती है। चंद्रमा के साथ बुध भी इसी तरह दुष्प्रभाव में आ जाए तब जातक सामान्य स्वभाव से हटकर स्वभाव का होता है।
          चंद्रमा तीव्र गति से चलने वाला ग्रह है, यह मन को प्रभावित करता है इसी लिए व्यक्ति की सोच की कोई सीमा नही होती वह क्षणों में ही बहुत कुछ सोच लेता है। मानसिक रूप से मजबूत और अपने आप में समर्थ होना बहुत जरूरी बात है। जिन जातको की कुंडली में ऐसे ग्रह योग हो उन्हें शिव आराधना करने से लाभ मिलता है। जातक को शुद्ध साउथ सीप का मोती चांदी की अंगूठी में जड़वा कर कनिष्ठिका ऊँगली में सोमवार की सुबह गंगाजल से शुद्ध करके धारण करना लाभकारी होता है। ऐसे जातक अगर ध्यान (मैडिटेशन) लगाना सीखलें तो चंद्रमा से सम्बंधित सभी दोष समाप्त हो जाते हैं।

 

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ज्योतिष आचार्या
ममता वशिष्ट
अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक
कालका ज्योतिष अनुसन्धान संसथान

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