पितृ दोष और समाधान (Pitra Dosh Aur Samadhan)
भारतीय ज्योतिष में पितृ दोष की गणना ऐसे दोषों में शीर्ष पर है जो कुंडली में होने से राजयोग के फल को भी समाप्त करने में समर्थ होता है। जब परिवार के किसी पूर्वज की मृत्यु के पश्चात उनका विधि पूर्वक अंतिम संस्कार संपन्न ना किया जाए, या जीवित अवस्था में उनकी कोई इच्छा अधूरी रह गई हो तो उनकी आत्मा अपने घर और आगामी पीढ़ी के लोगों के बीच ही भटकती रहती है। मृत पूर्वजों की अतृप्त आत्मा ही परिवार के लोगों को कष्ट देकर अपनी इच्छा पूरी करने के लिए दबाव डालती है और यह कष्ट पितृदोष के रूप में जातक की कुंडली में झलकता है। या यदि कोई व्यक्ति अपने हाथ से अपनी पिता की हत्या करता है, उन्हें दुख पहुंचाता या फिर अपने बुजुर्गों का सम्मान नहीं करता है तो अगले जन्म में उसे पितृदोष का कष्ट झेलना पड़ता है। जिन लोगों को पितृदोष का सामना करना पड़ता है उनके विषय में ये माना जाता है कि उनके पूर्वज उनसे अत्यंत दुखी हैं।
पितृ दोष के कारण व्यक्ति को बहुत से कष्ट उठाने पड़ते हैं, जिनमें विवाह ना हो पाने की समस्या, रिश्तेदारों के साथ मतभेद रहना, विवाहित जीवन में कलह रहना, दिया पैसा वापिस ना मिलना, परीक्षा में बार-बार असफल होना, पैतृक घर की दीवारों में दरारें आना, नशे का आदि हो जाना, धन का बार बार नाश होना, नौकरी का ना लगना या छूट जाना, अपने ही रिश्तेदारों के साथ जमीन जायदाद का झगड़ा होना, गर्भपात या गर्भधारण की समस्या, बच्चे की अकाल मृत्यु हो जाना या फिर मंदबुद्धि बच्चे का जन्म होना, निर्णय ना ले पाना, अत्याधिक क्रोधी होना, विवाह उपरांत बच्चा होने में बाधा आना। आइए जानते हैं कुंडली में बने कुछ ऐसे योग जो पितृ दोष का संकेत देते हैं।
- यदि अष्टमेश या द्वादशेश का संबंध सूर्य या ब्रहस्पति से हो तो जातक पितृदोष से पीड़ित होता है
- यदि सूर्य राहु से युत हो तथा उस पर शनि की दृष्टि या युति हो तो पित्र दोष होता है।
- यदि सूर्य पंचम भाव में राहू के साथ हो और शनि की दृष्टि या युति हो तो पित्र दोष होता है।
- यदि सूर्य शनि के साथ हो और उनपर राहू की युति या दृष्टि हो तो यह पितृ दोष है।
- यदि चनद्रमा के साथ भी उपरोक्त ग्रह स्थिति हो तो पित्र दोष का निर्माण करती है।
- यदि कुणडली में शुक्र राहु, शानि या मंगल द्वारा पीड़ित हो तो पित्र दोष का सूचक होता है।
- यदि लग्न मे नीच का गुरु हो और उस पर पाप ग्रह की दृष्टि हो तो पित्र दोष होता है।
- यदि पंचम भाव व नवम भाव मे नीच के ग्रह बैठे हौं।
- यदि पंचमेष व नवमेष नीच राशि मे बैठे हो, तो पित्र दोष होता है।
- यदि जातक के लग्न और पंचम भाव में सूर्य, मंगल एवं शनि हों और अष्टम या द्वादश भाव में बृहस्पति और राहु स्थित हो तो पितृदोष होता है।
- यदि पंचमेश व नवमेश ६,८ या १२वें भाव मे हो तो पित्र दोष होता है।
- यदि जातक का जन्म अमावस्या तिथि में हो और जन्मा कुंडली में सूर्य व चंद्रमा की युति के समय उनके राहू और शनि से ग्रस्त होने पर महापित्र दोष होता है।
- यदि सूर्य ६,८ या १२वें भाव मे हो तो पित्र दोष होता है।
समाधान
- बृहस्पतिवार के दिन शाम के समय पीपल के पेड़ की जड़ में जल चढ़ाने और फिर सात बार उसकी परिक्रमा करने से जातक को पितृदोष से राहत मिलती है।
- श्राद्ध पक्ष में मृत्यु तिथि के दिन तपॆण व पिणडदान करें। ब्राह्मण को भोजन कराएं, वस्त्र / दक्षिणा आदि दें। यदि मृत्यु तिथि न मालूम हो तो श्राद्ध पक्ष की अमावस्या को तपॆण व पिणडदान करें।
- शनिवार को शाम के समय पानी वाला नारियल अपने ऊपर से सात बार वारकर बहते जल में प्रवाहित कर दें और अपने पूर्वजों से मांफी मांगकर उनसे आशीर्वाद मांगे।
- प्रत सूर्य को जल दें व गायत्री मंत्र का जाप करें।
- रविवार को गाय को गुड या केला खिलायें।
- पितृ गायत्री का अनुष्ठान करवायें।
- नारायणबलि पूजा करवायें।
- गया में त्रिपिंडी श्राद्ध या ननदी श्राद्ध करवायें।
- श्रीमदभागवत पुराण सप्ताह करवायें।
- अपने मन-वचन-कर्म से किसी को भी ठेस ना पहुंचाएं।
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ज्योतिष आचार्या
ममता वशिष्ट
अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक
कालका ज्योतिष अनुसन्धान संसथान