कुंडली में आईपीएस बनने के योग (Kundli Mein IPS Banane Ke Yog)

          भारत में प्रत्येक वर्ष लाखों परीक्षार्थी आईपीएस की परीक्षा देते हैं। प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) में सफलता पाना चाहता है। परन्तु गिने चुने लोग ही इसमें सफलता प्राप्त करते हैं। भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) में सफलता पाने के लिए ज्ञान के करक बृहस्पति, पराक्रम के स्वामी मंगल एवं न्याय के स्वामी शनि ग्रह की विशेष भूमिका होती है। आइए जानते हैं कुंडली में इन ग्रहों का किस स्थान में होना आईपीएस अधिकारी बनाने में सफलता दिलाएगा।

  • यदि सूर्य मंगल का योग मेष राशि में हो तो आईपीएस अधिकारी बनने में सफलता मिलती है।
  • यदि मंगल बली होकर शनि से पाचवे या नवे भाव में हो तो भी आईपीएस में जाने का योग बनता है।
  • यदि मंगल बली होकर दशम भाव में स्थित हो या मंगल की दशम भाव पर दृष्टि हो तो आईपीएस का योग बनता है।
  • यदि लग्नेश मंगल हो अथवा दशम भाव में मंगल बलवान होकर स्थित हो, शनि की स्थिति शुभ हो तो आईपीएस में जाने का योग बनता है।
  • यदि मेष लग्न हो और मंगल लग्न में हो या दशम भाव में गुरु पंचम में या नवम भाव में हो तो जातक आईपीएस में सफल होता है।
  • यदि कर्क लग्न हो और मंगल पंचम या दशम में से किसी एक स्थान पर हो व गुरु नवम में हो या पंचम भाव में हो तो वह जातक आईपीएस में सफलता पाता है।
  • यदि सिंह लग्न हो और मंगल ४, ६ या ९वे भाव में हो तो वह जातक आईपीएस में सफल होता है।
  • यदि वृश्चिक लग्न में मंगल पंचम भाव में और गुरु लग्न में हो और सूर्य-बुध दशम भाव में हो तो उस जातक को आईपीएस में सफलता मिलती है।
  • यदि मकर लग्न में शनि दशम भाव मेंतथा मंगल लग्न में हो तो वह जातक पुलिस या सेना में सर्वोच्च स्थान पाता है।
  • यदि कुंभ लग्न में गुरु एकादश में तथा मंगल दशम भाव में हो तो आईपीएस में जाने का योग बनता है।

         आईपीएस जैसे उच्च सरकारी पदों पर बैठे जातक एक तरह से राजा की श्रेणी में ही आते हैं। ऐसे जातकों की जन्म कुंडली में राजयोग, लक्ष्मी योग, विशिष्ट वैभव योग शौर्य योग, गजकेसरी योग तथा उच्च पदाधिकारी योग अदि विद्यमान होते हैं। जातक की कुंडली में ग्रहों की शुभता, उच्चता तथा शुभ योग ही उसे उच्च पदों पर सुशोभित करते हैं। कीसी उच्च पदाधिकारी पद को प्राप्त करने के लिये ज्योतिष शास्त्र के अनुसार लग्न, दशम, षष्ठ स्थानों का कुंडली में प्रबल होना एवं इन भावों के भावेशों का शक्तिशाली होना अत्यंत आवश्यक है। सफलता, पराक्रम व साहस के लिए तृतीय भाव, भावेश व उसका कुंडली में उत्तम स्थान पर प्रतिष्ठित होना अति महत्वपूर्ण है। इससे अतिरिक्त लग्न तथा दशम स्थान बलवान व सशक्त होने के साथ-साथ लग्नेश तथा दशमेश का उत्तम स्थान पर होना अति आवश्यक है।

 

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ज्योतिष आचार्या
ममता वशिष्ट
अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक
कालका ज्योतिष अनुसन्धान संसथान

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