रेकी सीखने के लाभ (Reiki Seekhne Ke Labh)

“ऋग्वेद में रेक”

ॐ अयं में हस्तो भगवनयं मे भगवत्तर: ।
अयं मे विश्वभेषजोऽयं शिवाभिमर्शनम् ॥

मेरा यह हाथ भाग्यवान है । मेरा यह हाथ सब ओषधियों से युक्त है । यह शुभ स्पर्श वाला है ।

          रेकी अर्थात सर्पव्यापी जीवन शक्ति (शिव शक्ति) एक ऐसी आध्यात्मिक अभ्यास पद्धति है जिसका प्रयोग हर प्रकार की बीमारी का उपचार एवं आध्यात्मिकता के स्तर को ऊँचा उठाने में किया जाता है। यह एक स्पर्श चिकित्सा है जो की लगभग एक योग जैसी ही विधि है। श्री राम चंद्र जी ने मिथिलापुरी के वन में तपस्या में लीन श्रापित माता अहिल्या के श्राप को अपने स्पर्श द्वारा रेकी शक्ति से ही मुक्त किया था, श्री कृष्ण जी ने कंस की दासी कुब्जा को अपने स्पर्श से ही अंगविकृति से मुक्त कर उसका कल्याण किया था। संत तुलसीदस जी ने मुर्दे के मस्किष्क पर हाथ रख इसी शक्ति से उसे जीवित कर दिया था। साईं बाबा जी और इसा मसीह ने असंख्य रोगियों का उपचार कर उनका कलयाण रेकी शक्ति से ही किया था।
          अथर्ववेद में भी रेकी शक्ति के प्रमाण मिलते हैं परन्तु यह विद्या गुरुजनो द्वारा अपने शिष्यों को मौखिक रूप में दी जाती थी और इसका लिखित में कोई ग्रन्थ या अन्य सामग्री ना होने के कारन यह विद्या लुप्त हो गई। परन्तु महात्मा बुद्ध ने लगभग ढाई हजार वर्ष पूर्व अपने आध्यात्म और योग के बल पर पुनः इस विद्या को प्राप्त कर अपने शिष्यों को दिया और इस लुप्त विद्या को जागृत कर विश्व का कल्याण किया। महात्मा बुद्ध के शिष्यों के साथ यह विद्या तिब्बत और चीन से होती हुई जापान तक पहुँची और जापान में इस पर पुनः खोज का काम जापान के डॉक्टर मिकाओ उसुई जी ने किया था। डॉक्टर मिकाओ उसुई जी की विचारधारा अनुसार ऊर्जा जीवित प्राणियों से ही प्रवाहित होती है और इस ऊर्जा को जीवन ऊर्जा कहा जाता है और यह जीवन की प्राण शक्ति है। यह शक्ति हमेशा हमारे आस पास ही रहती है और इसे मस्तिष्क द्वारा ग्रहण कर शरीर के सारे चक्रों एवं ऊर्जा केंद्रों को शक्तिशाली बना सकते हैं।
          रेकी किसी भी जात या धर्म से सम्बन्ध नहीं रखती। रेकी का कोई पंथ या वर्ग नहीं है। रेकी को पाने के लिए किसी विशेष धर्म का होना भी अावश्यक नहीं। आप किसी भी जात या धर्म के हों रेकी प्राप्त करके अपने आध्यात्मिक स्तर को और ऊँचा उठा सकते हैं। रेकी में कुछ नियम हैं जिनके अधीन रह कर ही रेकी का प्रयोग किया जाता है। रेकी के यह नियम हमें अपना और सरे संसार के कल्याण करने के लिए प्रेरित करते हैं। रेकी एक ऐसी आध्यात्मिक विद्या है जिसे पुस्तकें पड़ कर नहीं सिखा जा सकता। पूर्व काल में गुरुजन इसे कुंडलनी शक्ति के रूप में शिष्य को प्रदान करते थे। इसलिए विद्यार्थी इसे रेकी मास्टर से ही सीखता है। आइए अब जानते हैं रेकी सीखने से जातक को क्या लाभ प्राप्त होते हैं।

  • रेकी से हमारे शरीर को किसी भी प्रकार की हानि या संक्रमण नहीं होता है।
  • रेकी शक्ति एवम ऊर्जा को बड़ा कर हमारी कार्य करने की क्षमता को बढ़ती है।
  • रेकी हमारे शरीर का काया कल्प कर देती है।
  • रेकी जीवन में प्रेम और सद्भावना से भरा देती है।
  • रेकी शरीर में शक्ति का संतुलन स्थापित करती है।
  • रेकी रोगों को जड़ से समाप्त करती है।
  • रेकी तनाव एवं भावनाओं के बंधन से मुक्त करती है।
  • रेकी शरीर की अवरुद्ध ऊर्जा को सुचारुता प्रदान करती है।
  • रेकी शरीर में व्याप्त नकारात्मक प्रवाह को दूर करती है।
  • रेकी अतीद्रिंय मानसिक शक्तियों को बढ़ाती है।
  • रेकी शरीर की रोगों से लड़ने वाली शक्ति को प्रभावी बनाती है।
  • रेकी ध्यान लगाने के लिए सहायक होती है।
  • रेकी समक्ष एवं परोक्ष उपचार करती है।
  • रेकी सजीव एवं निर्जीव सभी का उपचार करती है।
  • रेकी हमारे अंदर दया भाव जागृत कर सद् बुद्धि प्रदान करती है।
  • रेकी हमारी चिंता एवं घबराहट को दूर करती है।
  • रेकी हमें मधुर व अच्छी नींद देती है।
  • रेकी पूर्ण स्वास्थ्य प्रदान करती है।
  • रेकी हमारी इच्छा शक्ति को बढ़ाती है।
  • रेकी हमारे पूर्व जन्मो के विकर्मो एवं दोषों को नष्ट कर उत्तम जीवन प्रदान करती है।
  • रेकी हमारे पारिवारिक संबंधों में मधुरता लाने में हमारी सहायता करती है।
  • रेकी हमारे आध्यात्मिक स्तर को ऊंच उठती है।
  • रेकी हमें क्रोध मुक्त जीवन प्रदान करती है।
  • रेकी हमारे अंदर क्षमा भाव जागृत करती है।
  • रेकी हमारी नीरसता एवं निराशा को दूर कर जीवन में आनंद भर्ती है।
  • रेकी से हर प्रकार की परिस्थितियों को बदल सकते हैं।
  • रेकी से अपने व्यक्तित्व, आदतें एवं स्वभाव को बदल सकते हैं।

 

रेकी मास्टर
पवन कुमार वशिष्ट

 

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संपर्क सूत्र : kalkajyotish@gmail.com

 

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रेकी मास्टर
पवन कुमार वशिष्ट

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