श्री कृष्ण जी के ५१ नामों के अर्थ (Shri Krishna Ji ke 51 Naamo Ke Arth)
- कृष्ण : सब को अपनी ओर आकर्षित करने वाला.।
- गिरिधर : गिरी : पर्वत ,धर : धारण करने वाला। अर्थात गोवर्धन पर्वत को उठाने वाले।
- मुरलीधर : मुरली को धारण करने वाले।
- पीताम्बर धारी : पीत :पिला, अम्बर:वस्त्र। जिस ने पिले वस्त्रों को धारण किया हुआ है।
- मधुसूदन : मधु नामक दैत्य को मारने वाले।
- यशोदा या देवकी नंदन : यशोदा और देवकी को खुश करने वाला पुत्र।
- गोपाल : गौओं का या पृथ्वी का पालन करने वाला।
- गोविन्द : गौओं का रक्षक।
- आनंद कंद: आनंद की राशि देंने वाला।
- कुञ्ज बिहारी : कुंज नामक गली में विहार करने वाला।
- चक्रधारी : जिस ने सुदर्शन चक्र या ज्ञान चक्र या शक्ति चक्र को धारण किया हुआ है।
- श्याम : सांवले रंग वाला।
- माधव : माया के पति।
- मुरारी : मुर नामक दैत्य के शत्रु।
- असुरारी : असुरों के शत्रु।
- बनवारी : वनो में विहार करने वाले।
- मुकुंद : जिन के पास निधियाँ है।
- योगीश्वर : योगियों के ईश्वर या मालिक।
- गोपेश : गोपियों के मालिक।
- हरि : दुःखों का हरण करने वाले।
- मदन : सूंदर।
- मनोहर : मन का हरण करने वाले।
- मोहन : सम्मोहित करने वाले।
- जगदीश : जगत के मालिक।
- पालनहार : सब का पालन पोषण करने वाले।
- कंसारी : कंस के शत्रु।
- रुख्मीनि वलभ : रुक्मणी के पति ।
- केशव : केशी नाम दैत्य को मारने वाले. या पानी के उपर निवास करने वाले या जिन के बाल सुंदर है।
- वासुदेव : वसुदेव के पुत्र होने के कारन।
- रणछोर : युद्ध भूमि स भागने वाले।
- गुड़ाकेश : निद्रा को जितने वाले।
- हृषिकेश : इन्द्रियों को जितने वाले।
- सारथी : अर्जुन का रथ चलने के कारण।
- पूर्ण परब्रह्म : देवताओ के भी मालिक।
- देवेश : देवों के भी ईश।
- नाग नथिया : कलियाँ नाग को मारने के कारण।
- वृष्णिपति : इस कुल में उतपन्न होने के कारण
- यदुपति : यादवों के मालिक।
- यदुवंशी : यदु वंश में अवतार धारण करने के कारण।
- द्वारकाधीश : द्वारका नगरी के मालिक।
- नागर : सुंदर।
- छलिया : छल करने वाले।
- मथुरा गोकुल वासी : इन स्थानों पर निवास करने के कारण।
- रमण : सदा अपने आनंद में लीन रहने वाले।
- दामोदर : पेट पर जिन के रस्सी बांध दी गयी थी।
- अघहारी : पापों का हरण करने वाले।
- सखा : अर्जुन और सुदामा के साथ मित्रता निभाने के कारण।
- रास रचिया : रास रचाने के कारण।
- अच्युत : जिस के धाम से कोई वापिस नही आता है।
- नन्द लाला : नन्द के पुत्र होने के कारण।
प्रिये मित्रों अपनी कुंडली में सर्व दोषों के स्थाई निवारण हेतु हमसे संपर्क करें।
संपर्क सूत्र : kalkajyotish@gmail.com
आपको यह जानकारी कैसी लगी कृपया मैसेज कर हमें बताएं
ज्योतिष आचार्या
ममता वशिष्ट
अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक
कालका ज्योतिष अनुसन्धान संसथान