शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurat)

          प्रिये मित्रों शुभ मुहूर्त में किया गया हर कार्य अवश्य ही शुभ परिणाम प्रदान करता है। इसी लिए जातक कोई भी शुभ कार्य करने से पहले किसी विशेषज्ञ या अच्छे ज्योतिषी से शुभ मुहूर्त की तिथि लेने के बाद ही कार्य प्रारम्भ करता है। परन्तु कई बार ऐसा भी होता है की कोई शुभ महूर्त नहीं मिलता है और हमे वह कार्य करना होता है और हम परेशान होते हैं । अतः यहाँ कुछ ऐसे शुभ मुहूर्तों के विवरण दे रही हूँ, जिनमें कोई कार्य करने के लिए किसी से मुहूर्त जानने की जरूरत नहीं होती और कार्य किया जा सकता है। यह सभी सात मुहूर्त किसी भी कार्य हो आरम्भ लिए अति शुभ मने जाते हैं। आइए जानते हैं यह शुभ सात मुहूर्त कोनसे हैं और कब आते हैं।

  • चैत्र शुक्ल प्रतिपदा (नव संवत्सर, गुडी पड़वा) (मार्च-अप्रैल माह मैं)
  • वैशाख शुक्ल तृतीया (अक्षय तृतीया) (अप्रैल-मई में)
  • आषाढ़ शुक्ला नवमी (भड़रिया नवमी (जुलाई में)
  • आश्विन (क्वार) शुक्ल दशमी (विजया दशमी, दशहरा) (अक्टूबर में)
  • कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा (गोवर्धन, अन्नकूट) (नवम्बर में)
  • माघ शुक्ल पंचमी (वसंत पंचमी) ( फरवरी में)
  • फाल्गुन शुक्ल द्वतीया (फुलारिया दौज) (मार्च में)

          यह मुहूर्त अपने आप में अद्भुत हैं और इस दिन कोई भी कार्य आरम्भ करने के लिए किसी भी विशेषज्ञ से परामर्श करने की भी आवशकता नहीं है। जातक निसंकोच अपना कोई भी कार्य आरम्भ करके शुभ परिणाम प्राप्त कर सकता है। इसके अतिरिक्त निम्न लिखित सभी योगों में कोई भी कार्य आरम्भ किया जा सकता है।

  • अमृत सिद्धि योग :

          यदि रविवार को हस्त नक्षत्र, सोमवार को मृगशिरा नक्षत्र, मंगलवार को अश्वनी नक्षत्र, बुधवार को अनुराधा नक्षत्र, बृहस्पतिवार को पुष्य नक्षत्र, शुक्रवार को रेवती नक्षत्र और शनिवार को रोहिणी नक्षत्र हो तो अमृत सिद्धि योग होता है। इस दिन आरम्भ किया हर कार्य विशेष शुभ परिणाम देता है।

  • सर्वार्थ सिद्धि योग :

          यदि रविवार को हस्त, मुला, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, उत्तराभाद्रपद, पुष्य, अश्लेषा नक्षत्र हो। यदि सोमवार को श्रवण, रोहिणी, मृगशिरा, पुष्य, अनुराधा नक्षत्र हो। यदि मंगलवार को अश्वनी, उत्तराभाद्रपद, कृतिका अश्लेषा नक्षत्र हो। यदि बुधवार को रोहिणी, अनुराधा, हस्त, कृतिका, मृगशिरा नक्षत्र हो। यदि बृस्पतिवार को रेवती, अनुराधा, अश्वनी, पुनर्वसु, पुष्य नक्षत्र हो। यदि शुक्रवार को रेवती, अनुरधन, अश्वनी, पुनर्वसु, श्रवण नक्षत्र हो। यदि शनिवार को श्रवण, रोहिणी, स्वाति नक्षत्र हो। यह सभी योग सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण करते हैं। इस योग में किया हर कार्य सिद्ध होता है और जातक को सफलता प्राप्त होती है।

  • त्रि पुष्कर योग :

          यदि रविवार, मंगलवार या शनिवार को भद्रा तिथि (द्वतीया, सप्तमी या द्वादशी) हो और त्रि पाद नक्षत्र (सूर्य के कृतिका,उत्तर फाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा या बृहस्पति के पुनर्वसु, विशाखा या पूर्वा भाद्रपद ) हो तो त्रि पुष्कर योग होता है। इस योग में कोई भी कार्य निसंकोच आरम्भ किया जा सकता है।

  • द्विपुष्कर योग :

          यदि रविवार, मंगलवार या शनिवार को भद्रा तिथि (द्वतीया, सप्तमी या द्वादशी) हो और द्वी पाद नक्षत्र (मंगल के मृगशिरा, चित्रा या धनिष्ठा ) हो तो द्वी पुष्कर योग होता है। यह योग किसी भी कार्य को आरम्भ करने के लिए अति शुभ माना जाता है।

  • सूर्य योग :

          सूर्य गोचर के समय जिस नक्षता मैं है उस समय चन्द्रमा का नक्षत्र सूर्य के नक्षत्र से ४, ६, ९, १०, १३, या २० वां हो तो सूर्य योग होता है। यह योग किसी भी कार्य को आरम्भ करने के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।

  • रवि पुष्य योग :

          यदि रविवार को पुष्य तो रवि पुष्य योग होता है। इस योग में किया हर कार्य सफल होता है।

  • गुरु पुष्य योग :

          यदि गुरुवार को पुष्य योग हो तो गुरुपुष्य योग होता है। यह योग किसी भी कार्य को आरम्भ करने के लिए एक अत्यंत ही शुभ योग मन जाता है।

 

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ज्योतिष आचार्या
ममता वशिष्ट
अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक
कालका ज्योतिष अनुसन्धान संसथान

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