केमद्रुम योग (Kemdrum Yog)

केमद्रुमे भवति पुत्रकलत्रहीनो देशान्तरे दु:खसमाभितप्त
ज्ञातिप्रमोदनिरतो मुखर: कुचैलो नीच सदा भवति भीतियुतश्चिरायु:

          जातक की जन्म कुंडली में बनाने वाला यह एक अशुभ योग है। इस योग के चलते जातक मानसिक रोगों का शिकार हो जाता है । इस योग के कारण जातक के जीवन में अधूरापन सदैव बना रहता हैं । इसलिए जब भी कोई मुसीबत या असफलता मिलती हैं तो दूसरों की अपेक्षा इस योग के पीड़ित को कई गुना महसूस होती हैं। जातक का मन अस्थिर एवं अशांत रहता है। केमद्रुम योग जीवन में दरिद्रता की पराकाष्ठा लेकर आता है। आइए केमद्रुम योग के बारे में कुछ विस्तार से जानते हैं।

कैसे बनता है यह दोष :

          किसी भी लग्न की कुण्डली में चन्द्रमा जिस राशी में होता है, उसके दूसरे और बारहवें भाव में सूर्य के अलावा अन्य कोई ग्रह न हो तो जन्म कुण्डली में “केमद्रुम योग” बनता है। अभिप्राय यह है, कि चन्द्रमा के दोनों ओर मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, या शनि में से किसी न किसी ग्रह का होना आवश्यक हैं। इस योग में राहू एवं केतु को मान्यता नहीं दी हैं, क्योंकि ये मात्र छाया ग्रह हैं । परन्तु चन्द्रमा के दोनों में से किसी ओर उपरोक्त ग्रहों में से कोई ग्रह न हो तो प्रबल दुर्भाग्य का प्रतीक “केमद्रुम योग” बनता हैं।

केमद्रुम योग के दुष्प्रभाव :

  • इस योग के विद्यमान होने पर जातक स्त्री, संतान, धन, घर, वाहन, कार्य-व्यवसाय, माता-पिता एवं अन्य रिश्तेदारों अर्थात सभी प्रकार के सुखों से हीन होकर इधर-उधर व्यर्थ भटकने के लिए मजबूर होता हैं।
  • इस योग के कारन जातक के मन में भटकाव और असंतुष्टि की स्थिति बनी रहती है।
  • इस योग के कारण जातक निर्धन बनता है एवं उसे अपना पूरा जीवन दुख में भोगना पड़ता है।
  • इस योग के विषय में जातक पारिजात में लिखा हैं कि जन्म के समय यदि किसी जातक की कुण्डली में केमद्रुम योग हो तथा इसके साथ ही उसकी कुंडली में और भी सैकड़ों अन्य राजयोग हो तो वह भी निष्फल हो जाते हैं।
  • इस योग का मुख्य प्रभाव यह है कि इसके कारण जातक की आर्थिक स्थिति बदतर हो जाती है।
  • केमद्रुम योग अन्य सैकड़ों राजयोगों के सुन्दर प्रभावों को भी उसी प्रकार समाप्त कर देता है, जिस प्रकार जंगल का राजा शेर हाथियों का प्रभाव समाप्त कर देता हैं।

केमद्रुम भंग योग :

  • यदि चंद्रमा केंद्र में स्वराशिस्थ या उच्च राशिस्थ होकर शुभ स्थिति में हो।
  • यदि कुण्डली में चन्द्र कि उच्चराशी वृष या स्वराशी कर्क केंद्र में हो।
  • यदि चंद्र अधिष्ठित राशि का स्वामी लग्न में स्थित हो।
  • यदि लग्नेश बुध या गुरु से दृष्ट होकर शुभ स्थिति में हो।
  • यदि चंद्र अधिष्ठित राशि का स्वामी गुरु से दृष्ट हो।
  • यदि चंद्र और गुरु के मध्य भाव परिवर्तन का संबंध बन रहा हो।
  • यदि चन्द्र के साथ अन्य कोई भी ग्रह एक ही भाव में विराजित हो।
  • यदि कई ग्रहों की दृष्टी यदि चन्द्र पर हो तो भी इस दोष का दु:ष्प्रभाव कम हो जाता है।
  • यदि चंद्र अधिष्ठित राशि का स्वामी चंद्र पर दृष्टि डाल रहा हो।
  • यदि चंद्र अधिष्ठित राशि का स्वामी चंद्र से भाव परिवर्तन का संबंध बना रहा हो।
  • यदि चंद्र अधिष्ठित राशि का स्वामी लग्नेश, पंचमेश, सप्तमेश या नवमेश के साथ युति या दृष्टि संबंध बना रहा हो।
  • यदि लग्नेश, पंचमेश, सप्तमेश और नवमेश में से कम से कम किन्हीं दो भावेशों का आपस में युति या दृष्टि संबंध बन रहा हो।
  • यदि चंद्र पर बुध या गुरु की पूर्ण दृष्टि हो अथवा लग्न में बुध या गुरु की स्थिति या दृष्टि हो।

          उपरोक्त स्थितियों में से कोई भी एक स्थिति बने तो भी “केमद्रुम योग” भंग हो जाता है। ज्योतिष के लगभग सभी महानुभाव इस बात से पूर्णतः सहमत हैं। परन्तु कुछ विशेषज्ञों का मानना है की जन्मकुण्डली में “केमद्रुम योग” तथा “केमद्रुम भंग योग” इन दोनों के होते हुए भी जातक को सम्बंधित ग्रहों कि दशा-अन्तर्दशा में मिश्रित फलों का सामना करना ही पड़ता है।

केमद्रुम योग से बचने हेतु उपाए :

          इस योग वाले जातक को भोलनाथ की पूजा करने से बहुत लाभ मिलता है। साथ ही सोमवार को चित्रा नक्षत्र के समय से लगातार चार वर्ष तक पूर्णिमा उपवास करें तो इससे भी केमद्रुम योग के अशुभ प्रभाव कम होने की मान्यता है। चांदी का श्रीयंत्र मोती के साथ धारण करें। रुद्राक्ष की माला पहनें। घर में दक्षिणावर्ती शंख स्थापित कर नियमित रूप से श्री सूक्त का पाठ करना भी इसमें लाभ देता है। पूजा स्‍थल पर गंगा जल अवश्‍य ही रखें। चद्रमा से संबंधित वस्‍तुओं का दान करें जैसे, दूध, दही, आईसक्रीम, चावल, पानी आदि। सोमवार के दिन शिवलिंग पर गाय का कच्चा दूध चढ़ाएं। भगवान शिव के साथ-साथ माता लक्ष्मी की स्तुति भी विशेष रूप से लाभकारी होती है। चांदी का चौकोर टुकड़ा अपने पास रखें। सिद्ध कुंजिकास्तोत्रम का प्रतिदिन 11 बार तेज स्वर में पाठ करें। लेकिन ऐसा करने में परेशानी यह हो सकती है कि कहीं आप मंत्रोच्चारण सही तरीके से न कर पायें तो, या फिर आपको पूजा की विधि ही ज्ञात न हो इसलिये हमारी सलाह है कि इसके लिये ज्योतिषशास्त्र में पारंगत किसी विद्वान ज्योतिषाचार्य की सहायता लें।

 

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संपर्क सूत्र : kalkajyotish@gmail.com

 

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ज्योतिष आचार्या
ममता वशिष्ट
अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक
कालका ज्योतिष अनुसन्धान संसथान

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