श्वेतार्क गणपति (Shwetaark Ganpati)

“गणानां जीवजातानां य: ईश: स्वामी स: गणेश:”

अर्थात – जो समस्त जीव जाति के ईश-स्वामी हैं वह गणेश हैं। इनकी पूजा से सभी विघ्न नष्ट होते हैं।

          वनस्पति तंत्र में कई ऐसी दुर्लभ वनस्पतियां एवं वृक्ष हैं जिनको हमारे देवी-देवताओं का प्रत्यक्ष स्वरूप माना गया है। इनका उपयोग जनकल्याण की भावना से किया जाता है। उनमे से एक है श्वेतार्क मूल अर्थात सफ़ेद आकडे की जड़। श्वेतार्क एक ऐसा वृक्ष है जिसके मूल में गणेश जी का प्रत्यक्ष स्वरूप होता है। श्वेतार्क को विघ्नहर्ता गणपति का निवास भी माना जाता है। श्वेतार्क की जड़ कम से कम २७ वर्ष से जयादा पुरानी हो उसमें स्वत: ही गणेश जी की प्रतिमा बन जाती है। श्वेतार्क की जड़ यदि खोदकर निकल दी जाये तो निचे की जड़ में गणपति जी की प्रतिमा प्राप्त होगी। यह प्रतिमा स्वत: सिद्ध होती है।
          शास्त्रों में श्वेतार्क के बारे में कहा गया है की जहां कहीं भी यह पौधा अपने आप उग आता है, उसके आस-पास पुराना धन गड़ा होता है। श्वेतार्क की गणपति की प्रतिमा अपने पूजा स्थान में पूर्व दिशा की तरफ ही स्थापित करें। जिस घर में श्वेतार्क की जड़ रहेगी, वहां से दरिद्रता स्वयं पलायन कर जाएगी। शत्रु बाधा से मुक्ति पाने हेतु श्वेतार्क की छोटी सी जड़ शास्त्रोक्त रीति से चांदी के लाकेट में रख कर गले में धारण करने से शत्रुपीड़ा से मुक्ति मिलती है।
          यह पौधा मनुष्य के लिए देव कृपा, रक्षक एवं समृद्धिदाता है। इसके पुष्प भगवान शिव को विशेष प्रिय है। श्वेतार्क में फूलो का रंग श्वेत और पत्ते भी कुछ सफेदी लिए होते है। यह प्राय सहजता से प्राप्त नहीं होता है परन्तु अत्यंत दुर्लभ भी नहीं है। थोड़े से प्रयास से इसे प्राप्त किया जा सकता है। विघ्नहर्ता का स्वरूप होने के कारण श्वेतार्क प्राय घर में श्रद्धा के साथ उगाया जाता है। सफेद आकडे की जड़ में गणेशजी का वास होता है, कभी-कभी इसकी जड़ गणशेजी की आकृति ले लेती है। इस सफ़ेद आकडे की जड़ को घर में स्थापित करे। यदि जड़ गणेशाकार नहीं है तो उसकी श्रीगणेश की प्रतिमा बनवा लें। उस पर लाल सिंदूर का लेप करके उसे लाल वस्त्र पर स्थापित करें। तथा लाल पुष्प, लाल चंदन,अक्षत धुप , दीप एवं नेवैद्य में गुड़ व मूंग के लड्डू अर्पित करें। सवा लाख ‘ ॐ गं गणपतये नम:‘ बीज मंत्र के जाप का संकल्प ले। नित्य निश्चित संख्या में लाल चन्दन या रुद्राक्ष की माला से जाप करे। श्रद्धा और भावना से की गई श्वेतार्क की पूजा का प्रभाव थोड़े बहुत समय बाद आप स्वयं प्रत्यक्ष रू प से अनुभव करने लगेंगे। बीज मंत्र के सवा लाख जाप पूर्ण होने पर हवन एवं पूजन करें, तो आपकी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी। विधिपूर्वक गणपति की आराधना करने से बुद्धि एवं लक्ष्मी की प्राप्ति होती है और भगवान गणेश की कृपा बनी रहती है तथा जातक के सर्व कार्य निर्विघ्नता से सम्पूर्ण हो जाते हैं।

 

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ज्योतिष आचार्या
ममता वशिष्ट
अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक
कालका ज्योतिष अनुसन्धान संसथान

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