उपचारों में रेकी देने की अवस्थाएं भाग ३ (Upcharon Mein Reiki Dene Ki Avasthayen Part 3)
१. आज्ञा चक्र + मूलाधार चक्र + रोग ग्रस्त स्थान पर :
- हड्डियों एवं जोड़ों के दर्द को ठीक करने के लिए।
- स्फूर्ति एवं चेतना प्राप्त करने के लिए।
- गुप्तांगों की बिमारियों को ठीक करने के लिए
- ऊर्जा को बढ़ने के लिए।
- सुस्ती एवं शरीर के भारीपन को दूर करने के लिए।
- अस्थिर एवं बेकार विचारों को दूर कर भविष्य में स्थिरता लेन के लिए।
२. स्वाधिष्ठान चक्र + मूलाधार चक्र + किडनी :
- किडनी के हर प्रकार के रोगों से मुक्ति पाने के लिए।
३. आज्ञा चक्र + हृदय चक्र, मणिपुर + मूलाधार, विशुद्ध चक्र :
- खान पान की बुरी आदतों से मुक्ति पाने के लिए।
- सभी प्रकार के वाणी दोष से मुक्ति पाने के लिए।
- प्रभावशाली वक्ता बनाने के लिए।
४. स्वाधिष्ठान चक्र + विशुद्ध चक्र :
- थाइरॉयड से मुक्ति पाने के लिए।
- टॉन्सिल की बीमारी को ठीक करने के लिए।
- जुकाम एवं खांसी की बीमारी को ठीक करने के लिए।
- गले की सभी बिमारियों को ठीक करने के लिए।
५. स्वाधिष्ठान चक्र + आज्ञा चक्र :
- डिप्रेशन से मुक्ति पाने के लिए।
- भावनात्मक तनावों से मुक्ति पाने के लिए।
- निराशा को दूर कर उमंग उत्साह से जीवन को भरने के लिए।
६. मणिपुर चक्र + विशुद्ध चक्र, शरीर के रोग ग्रस्त भाग पर :
- शरीर को अच्छे आकर में बदलने हेतु।
- शरीर का वजन घटने के लिए।
- शरीक का वजन बढ़ने या संतुलित करने के लिए।
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रेकी मास्टर
पवन कुमार वशिष्ट