उपचारों में रेकी देने की अवस्थाएं भाग ४ (Upcharon Mein Reiki Dene Ki Avasthayen Part 4)
१. मणिपुर चक्र + मूलाधार चक्र, हृदय चक्र + आज्ञा चक्र :
- मईग्रेन से मुक्ति पाने के लिए।
- सल्वाईकल से मुक्ति पाने के लिए।
- सर की हर प्रकार की दर्द को ठीक करने के लिए।
- नसों की बाधाओं को दूर करने के लिए।
२. हृदय चक्र + आज्ञा चक्र, मणिपुर चक्र + स्वाधिष्ठान, फेफड़े आगे पीछे से :
- फेफड़ों की हर प्रकार की बीमारी को ठीक करने के लिए।
- अस्थमा की बीमारी को ठीक करने के लिए।
३. स्वाधिष्ठान + मणिपुर चक्र, आज्ञा चक्र + हृदय चक्र :
- अधिक खाने से हो रहे भारीपन से मुक्ति पाने के लिए।
- भूख या प्यास लगने पर भी खाने पीने की इच्छा न होने जैसी स्थिति के लिए।
- भूख प्यास में समय व्यतीत करने हेतु सरलता से शक्ति प्राप्त करने के लिए।
४. मणिपुर चक्र + पेन्क्रियाज (पेट के बायीं और), आज्ञा चक्र + हृदय चक्र, रोग गस्त स्थान :
- मधुमेह (डयबिटीज) से मुक्ति पाने के लिए।
- मधुमेह के कारन शरीर के अन्य भागों में हो रहे रोगों से मुक्ति पाने के लिए।
५. स्वाधिष्ठान चक्र, पैरों के तलवों के नीचे, आँखें :
- आँखों की हर प्रकार की तकलीफों से मुक्ति पाने के लिए।
- चश्मे से मुक्ति पाने के लिए।
६. मणिपुर चक्र + स्वाधिष्ठान चक्र, मूलाधार चक्र + रोग ग्रस्त स्थान :
- पत्थरी (स्टोन) की बीमारी से मुक्ति पाने के लिए।
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रेकी मास्टर
पवन कुमार वशिष्ट