उपचारों में रेकी देने की अवस्थाएं भाग ५ (Upcharon Mein Reiki Dene Ki Avasthayen Part 5)

१. रीढ़ की हड्डी के पहले एवं अंतिम मनके के ऊपर हाथों की एक एक उंगली से सहने योग्य दबाव डाल कर एवं बाद में दोनों हाथों से धीरे धीरे रख कर :

  • २४ साल तक की उम्र तक लम्बाई बढ़ाने या बढ़ती हुई लम्बाई को रोकने के लिए ।
  • रीढ़ की हड्डी की बीमारी से मुक्ति पाने के लिए।
  • पीठ की दर्द से मुक्ति पाने के लिए।
  • गर्दन की दर्द या अकड़न से मुक्ति पाने के लिए।

२. णिपुर चक्र + लिवर, दोनों गलों पर :

  • दांतों की रोगों से मुक्ति पाने के लिए।
  • मुख के सारे दाग-धब्भे ठीक करने के लिए।
  • मुहाँसों को ठीक करने के लिए।
  • मुख के अंदर हुए छालों एवं अल्सर को ठीक करने के लिए।

३. कनपटियों के ऊपर , माथे के आगे पीछे + स्वाधिष्ठान चक्र :

  • स्त्रियों के चेहरे से अनावश्यक बालों को हटाने के लिए।
  • शरीर से अनावश्यक बालों को हटाने के लिए।

४. स्वाधिष्ठान चक्र + मूलाधार चक्र, हृदय चक्र + मस्तिष्क के आगे व पीशे :

  • गर्भ को गिरने से बचने के लिए।
  • गर्भावस्था लेन के लिए।
  • गर्भ के समय माँ एवं बच्चे के स्वस्थ्य के लिए।
  • बिना ऑपरेशन एवं सहज डिलीवरी के लिए।

५. मणिपुर चक्र, मस्तिष्क के आगे व पीशे, रोग ग्रस्त स्थान पर :

  • किसी भी प्रकार की दवाई या केमिकल रिएक्शन से मुक्ति पाने के लिए।
  • विष के प्रभाव को समाप्त करने के लिए।
  • खाने से हुए विष या बीमारी (फ़ूड पाइजन) को ठीक करने के लिए।
  • किसी जीव अदि के काटने से फैलते हुए विष को रोकने के लिए।

 

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रेकी मास्टर 
पवन कुमार वशिष्ट

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