शनि साढ़ेसात के चरण (Shani Sade Sati Ke Charan)

शनि तीन राशियों पर गोचर करते है। अलग- अलग राशियों के लिये शनि के ये तीन चरण अलग – अलग फल देते है। शनि कि साढ़ेसात के नाम से ही लोग भयभीत हैं। जिस व्यक्ति को यह मालूम हो जाये की उसकी शनि की साढेसाती चल रही है, वह सुनकर ही व्यक्ति मानसिक दबाव में आ जाता है। आने वाले समय में होने वाली घटनाओं को लेकर तरह-तरह के विचार उसके मन में आने लगते है। शनि की साढेसाती को लेकर जिस प्रकार के भ्रम देखे जाते है। वास्तव में साढेसाती का रुप वैसा बिल्कुल नहीं है। आईये की साढेसाती एवं इसके चरणों को समझने का प्रयास करते है।

साढेसाती चरण-फल विभिन्न राशियों के लिये :

साढेसाती का प्रथम चरण – वृ्षभ, सिंह, धनु राशियों के लिये कष्टकारी होता है. द्वितीय चरण या मध्य चरण- मेष, कर्क, सिंह, वृ्श्चिक, मकर राशियों के लिये अनुकुल नहीं माना जाता है. व अन्तिम चरण- मिथुन, कर्क, तुला, वृ्श्चिक, मीन राशि के लिये कष्टकारी माना जाता है.
इसके अतिरिक्त तीनों चरणों के लिये शनि की साढेसाती निम्न रुप से प्रभाव डाल सकती है।

प्रथम चरण :

इस चरणावधि में व्यक्ति की आर्थिक स्थिति प्रभावित होती है। आय की तुलना में व्यय अधिक होते है। विचारें गये कार्य बिना बाधाओं के पूरे नहीं होते है। धन विषयों के कारण अनेक योजनाएं आरम्भ नहीं हो पाती है। अचानक से धन हानि होती है. व्यक्ति को निद्रा में कमी का रोग हो सकता है। स्वास्थय में कमी के योग भी बनते है। विदेश भ्रमण के कार्यक्रम बनकर -बिगडते रह्ते है। मानसिक चिन्ताओं में वृ्द्धि होना सामान्य बात हो जाती है। मेहनत के अनुसार लाभ नहीं मिल पाते है। दांम्पय जीवन में बहुत से कठिनाई आती है। यह अवधि व्यक्ति की दादी के लिये विशेष कष्टकारी सिद्ध होती है।

द्वितीय चरण:

व्यक्ति को शनि साढेसाती की इस अवधि में पारिवारिक तथा व्यवसायिक जीवन में अनेक उतार-चढाव आते है। व्यक्ति को अपने संबन्धियों से कष्ट प्राप्त होते है। उसे संबन्धियों से भी कष्ट होते है। उसे लम्बी यात्राओं पर जाना पड सकता है। घर -परिवार से दूर रहना पड सकता है। संपति से संम्बन्धित मामले परेशान कर सकते है। व्यक्ति के रोगों में वृ्द्धि हो सकती है। मित्रों का सहयोग समय पर नहीं मिल पाता है। कार्यो को पूर्ण करने के लिये सामान्य से अधिक प्रयास करने पडते है। आर्थिक परेशानियां भी बनी रह सकती है। कार्यो के बार-बार बाधित होने के कारण व्यक्ति के मन में निराशा के भाव आते है।

तृतीय चरण :

शनि साढेसाती के तीसरे चरण में व्यक्ति के भौतिक सुखों में कमी होती है। उसके अधिकारों में कमी होती है। आय की तुलना में व्यय अधिक होते है। स्वास्थय संबन्धी परेशानियां आती है। परिवार में शुभ कार्यो बाधित होकर पूरे होते है। वाद-विवाद के योग बनते है. संतान से विचारों में मतभेद उत्पन्न होते है। जिस व्यक्ति की जन्म राशि पर शनि की साढेसाती का तीसरा चरण चल रहा हों, उस व्यक्ति को वाद-विवादों से बचके रहना चाहिए। संक्षेप में यह अवधि व्यक्ति के लिये कल्याण कारी नहीं रह्ती है।

 

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ज्योतिष आचार्या
ममता वशिष्ट
अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक
कालका ज्योतिष अनुसन्धान संसथान

 

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