गुरु ग्रह के उपाए (Guru Greh Ke Upaye)

गोचर में या दशा में जब गुरु के शुभ फल प्राप्त न होने की स्थिति में गुरु ग्रह की शान्ति के उपाय करना लाभकारी रहता है। गुरु सबसे शुभ ग्रह है। इसलिये इनकी शुभता की सबसे अधिक आवश्यकता होती है। जब कुण्डली में गुरु अशुभ भावों का स्वामी हों तो गुरु की महादशा में इसकी शान्ति के उपाय करने लाभकारी रहते है। गुरु धन, ज्ञान व संतान के कारक ग्रह है इसलिये गुरु के उपाय करने पर धन, ज्ञान व संतान का सुख प्राप्त होने कि संभावनाएं बनती है। गुरु के शान्ति उपायों में निम्न उपाय आते है।

वस्तुओं से स्नान :

इस उपाय के लिये गंगाजल में पीली सरसों या शह्द दोनों को मिलाकर स्नान किया जाता है। स्नान करते समय गुरु मंत्र का जाप करना लाभकारी रहता है। तथा इसके बाद शुद्ध जल से स्नान कर लिया जाता है। यह उपाय करने पर स्नान करने पर वस्तु का प्रभाव रोमछिद्रों से होते हुए व्यक्ति के शरीर में प्रवेश करते है। उपाय के फलस्वरुप व्यक्ति को गुरु के गोचर या फिर दशा में शुभ फल प्राप्त होने की संभावना बढ जाती है।

वस्तुओं का दान :

स्नान करने के उपाय के अतिरिक्त इसकी वस्तुओं का दान करने से भी व्यक्ति को लाभ प्राप्त होते है। दान की जाने वाली वस्तुओं में चने की दाल, नमक, हल्दी की गांठें, नींबू, पीला कपडा, धार्मिक पुस्तकें आदि का दान किया जा सकता है। इनमें से किसी एक वस्तु या फिर सभी वस्तुओं का दान गुरुवार को किया जा सकता है। दान करते समय शुभ समय में गौधुली मुहूर्त का प्रयोग किया जा सकता है। वस्तुओं का दान करते समय अपने सामर्थय से अधिक वस्तुओं का दान नहीं करना चाहिए। जिस व्यक्ति के लिए यह दान किया जा रहा हो उसके स्वयं के संचित धन का प्रयोग इस कार्य के लिये करना विशेष रुप से शुभ रहता है।

मंत्र का जाप :

गुरु की शुभता प्राप्त करने के लिये गुरु मंत्र का जाप किया जा सकता है. ” ऊं गुं गुरुवाये नम: ” इस मंत्र का जाप प्रतिदिन एक माला या १९००० मंत्र जाप करना शुभ रहता है। इसके अलावा गुरु का जाप गुरुवार के दिन करना भी लाभकारी रहता है। जिस अवधि के लिये यह उपाय किया जा रहा है उस अवधि में हवन कार्यो में इस मंत्र का जाप किया जा सकता है।

यन्त्र धारण :

गुरु यन्त्र की पूजा करने से या फिर इसे धारण करने से धन संबन्धित परेशानियों में कमी होती है. आर्थिक स्थिति को सुदृढ करने में भी गुरु यन्त्र उपयोगी रहता है। गुरु यंत्र के प्रभाव से संतान सुख प्राप्ति की संभावनाओं को सहयोग प्राप्त होगा। शिक्षा क्षेत्र में सफलता पाने के लिये यह योग विशेष रुप से लाभकारी सिद्धि होता है। गुरु यन्त्र की प्राण प्रतिष्ठा करने के लिये किसी योग्य पण्डित की सहायता ली जा सकती है।

वस्तुओं को धारण या ग्रहण करना :

गुरु ग्रह के बलाबल को अधिक बढ़ने हेतु बुध की वस्तुओं को शरीर पे धारण किया जाता है। जैसे के पीला कपडा पहनना, पीला पुखराज स्वर्ण में शुक्ल पक्ष के गुरुवार को गुरु के होरे में पहनना। पीला हकीक चाँदी में पहनना। गुरु से सम्बंधित चने की दाल ज्यादा खाना। साधू, सन्यासियों, गुरुजनो का आशीर्वाद लें।

ग्रह कीलन :

रावणी विद्या में चंद्र ग्रह को छोड़ कर बाकी सभी ग्रहों का कीलन करने का विधान है। जिसमें एक विशेष विधि द्वारा ग्रह की विशेष सामग्री को एक शुभ तथा निश्चित समय में सिद्ध मंत्रों द्वारा कीलन करके दबाया जाता है। यह विधि अत्यन्त गोपनीय है और लाखों में कोई इक्का-दुक्का ज्योतिषी ही हैं जो ग्रह कीलन की विधि को विस्तार से जानते हैं। प्रिये मित्रों मैने अपने जीवम में इतने शीघ्र फल देने वाला उपाए कभी नहीं देखा। मेरे अनुभव के अनुसार ग्रह कीलन सबसे तेज एवं कारगर उपाए  है जो की ७२ घंटे में ही अपना असर दिखा देता है। मेरे गुरुदेव जी की असीम कृपा से मुझे यह विद्या एवं संपूर्ण विधि मिली इसके लिए मैं अपने गुरुदेव जी का कोटि-कोटि धन्यवाद करती हूँ।

ध्यान दें : कोई भी ग्रह अगर कुंडली में मारकेश हो तो उसके बल को कम किया जाता है और योग कारक ग्रह के बल को बढ़ाया जाता है।

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ज्योतिष आचार्या

ममता वशिष्ट
अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक
कालका ज्योतिष अनुसन्धान संसथान

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