श्री गायत्री श्राप विमोचनम् (Shri Gayatri Shraap Vimochnam)
॥ श्री गणेशाय नम ॥
(०१)
ॐ अस्य श्री गायत्री। ब्रह्मशाप विमोचन मन्त्रस्य। ब्रह्मा ऋषिः। गायत्री छन्दः।
भुक्ति मुक्तिप्रदा ब्रह्मशाप विमोचनी गायत्री शक्तिः देवता। ब्रह्म शाप विमोचनार्थे जपे विनियोगः॥
ॐ गायत्री ब्रह्मेत्युपासीत यद्रूपं ब्रह्मविदो विदुः। तां पश्यन्ति धीराः सुमनसां वाचग्रतः।
ॐ वेदान्त नाथाय विद्महे हिरण्यगर्भाय धीमही। तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात्।
ॐ गायत्री त्वं ब्रह्म शापत् विमुक्ता भव॥
(०२)
ॐ अस्य श्री वसिष्ट शाप विमोचन मन्त्रस्य निग्रह अनुग्रह कर्ता वसिष्ट ऋषि। विश्वोद्भव गायत्री छन्दः।
वसिष्ट अनुग्रहिता गायत्री शक्तिः देवता। वसिष्ट शाप विमोचनार्थे जपे विनियोगः॥
ॐ सोहं अर्कमयं ज्योतिरहं शिव आत्म ज्योतिरहं शुक्रः सर्व ज्योतिरसः अस्म्यहं।
(इति युक्त्व योनि मुद्रां प्रदर्श्य गायत्री त्रयं बारं )
ॐ देवी गायत्री त्वं वसिष्ट शापत् विमुक्तो भव॥
(०३)
ॐ अस्य श्री विश्वामित्र शाप विमोचन मन्त्रस्य नूतन सृष्टि कर्ता विश्वामित्र ऋषि।
वाग्देहा गायत्री छन्दः। विश्वामित्र अनुग्रहिता गायत्री शक्तिः देवता। विश्वामित्र शाप
विमोचनार्थे जपे विनियोगः॥
ॐ गायत्री भजांयग्नि मुखीं विश्वगर्भां यदुद्भवाः देवाश्चक्रिरे विश्वसृष्टिं तां कल्याणीं
इष्टकरीं प्रपद्ये। यन्मुखान्निसृतो अखिलवेद गर्भः।
शाप युक्ता तु गायत्री सफला न कदाचन।
शापत् उत्तरीत सा तु मुक्ति भुक्ति फल प्रदा
॥प्रार्थना॥
ब्रह्मरूपिणी गायत्री दिव्ये सन्ध्ये सरस्वती।
अजरे अमरे चैव ब्रह्मयोने नमोऽस्तुते।
ब्रह्म शापत् विमुक्ता भव।
वसिष्ट शापत् विमुक्ता भव।
विश्वामित्र शापत् विमुक्ता भव॥
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ज्योतिष आचार्या
ममता वशिष्ट
अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक
कालका ज्योतिष अनुसन्धान संसथान