गुरु चाण्डाल योग एवं उपाए (Guru Chandaal Yog Evam Upaye)

         यदि कुंडली में गुरु ग्रह के साथ राहु बैठा हो या किसी भी प्रकार का दृष्टि योग हो तो जातक की कुंडली में चांडाल योग बनता है। यह एक बहुत ही नकारात्मक एवं अशुभ योग है। इस योग के जातक की कथनी और करनी में अंतर होता है। यह योग जातक को बहुत अधिक भौतिकवादी बना देता है, जिसके चलते ऐसा जातक अपनी प्रत्येक इच्छा को पूरा करने के लिए अधिक से अधिक धन कमाना चाहता है। राहु के साथ योग बनने से गुरु ग्रह नीच का हो जाता है तो ज्ञान में कमी लाता है। बुद्धि को क्षीण बना देता है। राहु छाया ग्रह है जो भ्रम, संदेह, शक, चालबाजी का कारक है। नीच का गुरु अपनी शुभता को खो देता है। उस पर राहु की युति इसे और भी निर्बल बनाती है। निरंतर भ्रम-संदेह की स्थिति बनाए रखता है तथा गलत निर्णयों की ओर प्रेरित करता है। इस योग को निर्बल तथा निष्फल करने हेतु निम्न उपाए सहायक सिद्ध होते हैं।

  • राहु का जप-दान करें।
  • राहु ग्रह का कीलन करवाएं।
  • कोई भी निर्णय लेते समय बड़ों की सलाह लें।
  • गाय को भोजन दें।
  • हनुमान चालीसा का पाठ करें।
  • गरीब लोगों की मदद करें।
  • निर्णय लेते समय बड़ों की राय लें।
  • वाणी पर नियंत्रण रखें। व्यवहार में सामाजिकता लाएँ।
  • वृद्धों, गुरुजनों का सम्मान करें ।
  • माता पिता का आदर करें।
  • योग्य गुरु की शरण में जाएँ, उसकी सेवा करें और आशीर्वाद प्राप्त करें।
  • हल्दी और केसर का टीका लगाएँ।
  • निर्धन विद्यार्थियों को अध्ययन में सहायता करें।
  • चन्दन का तिलक लगाएं।
  • गणेशजी और देवी सरस्वती की उपासना और मंत्र जाप करें।
  • बरगद के वृक्ष में कच्चा दूध डालें, केले का पूजन करें, गाय की सेवा करें।

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ज्योतिष आचार्या
ममता वशिष्ट
अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक
कालका ज्योतिष अनुसन्धान संसथान

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