उपचारों में रेकी देने की अवस्थाएं भाग १ (Upcharon Mein Reiki Dene Ki Avasthayen Part 1)
१. आज्ञा चक्र + हृदय चक्र :
- तनाव से मिकतु पाने के लिए।
- क्रोध, घबराहट एवं चिंता को समाप्त करने के लिए।
- अपनी एवं दूसरों की भावनाओं को समाप्त करने के लिए।
- आत्मा की जाग्रति बढ़ने के लिए।
- लक्षय को पाने हेतु आत्म बल बढ़ने के लिए।
- स्मरण शक्ति बढ़ने के लिए।
- नींद के कारन आ रही सुस्ती को भागने के लिए।
- अपने हेतु घृणा भाव से मुक्ति पाने के लिए।
- दया वान, हिम्मतवान, क्षमाशील बनाने के लिए।
- हृदय रोगों को समाप्त करने के लिए।
- पूरे शरीर की ऊर्जा का संतुलन बना कर ऊर्जावान बनने हेतु।
- जीवन में निराशाओं से मुक्ति पाने के लिए।
- सम्पूर्ण शरीर की दर्दों को ठीक करने के लिए।
- आत्मा दाह जैसी भावनाओं से मुक्ति पाने के लिए।
- दूसरों के प्रति वयवहार को ठीक करने के लिए।
२. आज्ञा चक्र + हृदय चक्र, मणिपुर चक्र + मूलाधार चक्र :
- जिद्दी स्वाभाव से मुक्ति पाने के लिए।
- इच्छा शक्ति को बढ़ाने के लिए।
- नकात्मक विचारों को समाप्त करने के लिए।
- बार बार बीमार या अशक्त होने की अनुभति से मुक्ति पाने के लिए।
- बार बार विचार या निर्णय बदलने की आदत को सुधरने के लिए।
- योगयता से अधिक ऊँची भावनाओं से मुक्ति पाने के लिए।
- मिरगी की बीमारी से मुक्ति पाने के लिए।
- सोते समें नाक की ध्वनि (खरार्टे) से मुक्ति पाने के लिए।
३. मणिपुर चक्र + मूलाधार चक्र, आज्ञा चक्र के आगे व पीछे :
- गर्मी या सर्दी के अधिक प्रभाव से बचने के लिए।
- बुखार से मुक्ति पाने के लिए।
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रेकी मास्टर
पवन कुमार वशिष्ट