उपचारों में रेकी देने की अवस्थाएं भाग २ (Upcharon Mein Reiki Dene Ki Avasthayen Part 2)
१. मणिपुर चक्र + मूलाधार चक्र :
- हर प्रकार की एलर्जी से मुक्ति पाने के लिए।
- मौसम के बदलाव के कारन होने वाली बिमारियों से मुक्ति पाने के लिए।
- सूंघने की क्षमता क्षीण होने की स्थिति में बचाव के लिए।
- पुरानी दुखद यादों से मुक्ति पाने के लिए।
- किसी भी प्रकार की घृणा के विचारों से मुक्ति पाने के लिए।
- वायरल इन्फेक्शन से मुक्ति पाने के लिए।
२. मणिपुर चक्र + आज्ञा चक्र :
- उदार की कीसी भी प्रकार की बीमारी से मुक्ति पाने के लिए।
- वमन (उलटी) एवं दस्त को ठीक करने के लिए।
- उदर में एसिड एवं गैस की बीमारी को ठीक करने के लिए।
- कब्ज से मुक्ति पाने के लिए।
- चार्म रोग से मुक्ति पाने के लिए।
- सफ़ेद व काले दागों को ठीक करने के लिए।
- मुहांसे की बीमारी से मुक्त होने के लिए।
- समझदारी को बढ़ाने के लिए।
- नापसंद चीजों को खाने एवं नुकसानदायक चीजों को न खाने की रूचि पैदा करने के लिए।
- हर स्थिति में आनंद में रहने के लिए।
३. मूलाधार चक्र + विशुद्ध चक्र :
- आत्म शक्ति में वृद्धि के लिए।
- नजर दोष से बचाव के लिए।
- ऊपरी बाधा, भूत, प्रेत, टोना, टोटका, अदि से मुक्ति के लिए।
- चक्रों की तकलीफ से मुक्ति के लिए।
- ग्रह दोषों को दूर करने के लिए।
४. आज्ञा चक्र + स्वाधिष्ठान :
- कफ विकार को ठीक करने लिए।
- सर्दी (जुकाम) की बीमारी से मुक्ति पाने के लिए।
- स्व विकास (Self development) के लिए।
- मूत्र विकार से मुक्ति पाने के लिए।
- स्त्रियों के गुप्त रोगों को ठीक करने के लिए।
- शरीर में सूजन (Swelling) को ठीक करने के लिए।
- नपुंसकता को ठीक करने के लिए।
- बांझपन को ठीक करने के लिए।
- संतान होने में आ रही बाधाओं को ठीक करने के लिए।
- हार्मोन्स को संतुलित करने के लिए।
- उदार (Stomach) में अल्सर या कोई भी और बीमारी को ठीक करने के लिए।
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रेकी मास्टर
पवन कुमार वशिष्ट