उपचारों में रेकी देने की अवस्थाएं भाग ६ (Upcharon Mein Reiki Dene Ki Avasthayen Part 6)
१. स्वाधिष्ठान चक्र, रोग ग्रस्त स्थान :
- मुख की नसें खीचने की बीमारी से मुक्ति पाने के लिए।
२. मूलाधार चक्र + स्वाधिष्ठान चक्र, मूलाधार चक्र पेशे से + रोग ग्रस्त स्थान :
- टांगों की नसें खीचने की बीमारी से मुक्ति पाने के लिए।
३. मणिपुर चक्र + रोग ग्रस्त स्थान :
- शरीर में कहीं पर भी हुई गांठों की बीमारी से मुक्ति पाने के लिए।
- उल्सर की बीमारी से मुक्ति लिए।
४. दोनों कानो पर, मस्तिष्क के आगे पेशे, स्वाधिष्ठान चक्र :
- कानो की किसी भी प्रकार की बीमारी से मुक्ति पाने के लिए।
५. मस्तिष्क आगे पीशे, स्प्लीन + मणिपुर चक्र, लिवर :
- पीलिया की बीमारी से मुक्ति पाने के लिए।
- लिवर की बिमारिओं को ठीक करने के लिए।
- रक्त सम्बंधित बिमारियों से मुक्ति पाने के लिए।
६. मस्तिष्क आगे पीशे, हृदय चक्र, दोनों कंधे :
- भुजाओं एवं हाथों की बीमारी के लिए।
- दोनों कन्धों की दर्द अदि बिमारियों को ठीक करने के लिए।
- कंधो से ले कर हाथों की उँगलियों तक रक्त प्रवाह की सभी रुकावटों को समाप्त करने के लिए।
७. अनाहत चक्र + स्वाधिष्ठान चक्र (पीशे से) :
- रक्तचाप (ब्लडप्रेशर) को नियंत्रित करके के लिए।
८. रोग ग्रस्त स्थान पर :
- नसों के खिचाव या खिसकने से पैदा हुए रोग को ठीक करने के लिए।
- शरीर के जोड़ों में मोच या मरोड़ आने से पैदा हुए रोग और दर्द को ठीक करने के लिए।
९. मस्तिष्क आगे पीशे, मणिपुर चक्र + रोग ग्रस्त स्थान :
- फुंसी या फोड़े की दर्द को ठीक करने के लिए।
- कोई तीखी वास्तु (कांटा, सुई अदि) के चिभ्ने की दर्द से मुक्ति पाने के लिए।
- गरम पदार्थ शरीर पर गिरने से हो रही जलन या दर्द को ठीक करने के लिए।
- तेजाबी या विषैला पदार्थ शरीर पर गिरने से हो रही जलन या दर्द को ठीक करने के लिए।
- की सी भी प्रकार के घाव या चोट की दर्द, जलन अदि से मुक्ति पाने के लिए।
१०. रोग ग्रस्त स्थान + अनाहत चक्र से थोड़ा सा नीचे, मस्तिष्क आगे पीशे :
- शरीर में कीसी भी हिस्से में कैंसर की बीमारी से मुक्ति पाने के लिए।
- स्तनों के कैंसर एवं दर्द से मुक्ति पाने के लिए।
११. सभी चक्रों पर, रोग ग्रस्त स्थान पर :
- आम तोर पर हम रोग ग्रस्त स्थान पर रेकी दे कर वहां से रोग या पीडा को ठीक कर सकते हैं।
- लेकिन सातों चक्रों के साथ रोग ग्रस्त स्थान पर रेकी देने से रोग शीग्र ठीक हो जाता है और
- शरीर को पर्याप्त ऊर्जा भी प्राप्त होती है जो लगातार रोग को समाप्त करने में सहायक होती है।
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रेकी मास्टर
पवन कुमार वशिष्ट