क्या आपकी कुंडली में है धनवान बनाने का योग ? (Kya Apki Kundli Mein Hai Dhanwan Banane Ka Yog ?)
हर व्यक्ति अपने जीवन में धनवान बनना चाहता है। गाड़ी, बांग्ला, नौकर-चाकर, देश विदेश की सैर अदि किस व्यक्ति की इच्छा नहीं है। कोई व्यक्ति पैदा होते ही धनाढ्य होता है और कोई कड़ी मेहनत के बाद बनता है। धनवान होने का सपना तो हर देखता है परन्तु कुछ चुनिंदा ही होते हैं जिनका ये सपना हकीकत बन जाता है। करोड़पति किस्मत से या मेहनत से बनना जातक के पूर्वजन्मों के कर्मो पर निर्धारित करता है। जातक के पूर्व जन्म के कर्मो के बल से ही सर्व ग्रह उच्च अथवा नीच हो कर जातक की कुंडली में स्थित होते हैं। इसलिए धनाढ्य बनने के लिए जन्म कुंडली बहुत बड़ी भूमिका निभाती है। अगर आपकी कुंडली में धनवान बनने के योग हैं तो धन आने के रस्ते अपने आप बनते जाते हैं। आपको इसके लिए ज्यादा मेहनत भी नहीं करनी पड़ेगी। ज्तोतिष शास्त्र में ऐसे अनेकों योग हैं जो जातक को धनवान बनाने में सहयोगी होते हैं। आइए जानते हैं ज्योतिष में कुछ ऐसे योग जो हमें धनवान बनाने में समर्थ होते हैं :
- यदि लग्नेश का सम्बन्ध २ या ११ वें घर के मालिक ग्रहों से केंद्र अथवा त्रिकोण में बने तो जातक अपर धन कमाता है।
- जब गुरु कर्क, धनु या मीन राशि का हो और पांचवें भाव का स्वामी हो कर दसवें भाव में बैठा हो तो ऐसे व्यक्ति को अपनी पुत्री या पुत्र के द्वार अपार धन-संपदा मिलती है।
- जिस जातक की कुंडली में मंगल चौथे, सूर्य पांचवें और गुरु ग्यारहवें या पांचवें भाव में होता है उस जातक को पैतृक संपत्ति एवं कृषि कार्य से अपर धन मिलता है।
- जिस जातक की कुंडली में दूसरे घर का स्वामी दूसरे घर में स्वराश या उच्च राशि का हो और उस पर शुभ ग्रह की दृष्टि हो या द्वितीयेश किसी शुभ ग्रह के साथ उच्च का हो कर केंद्र अथवा त्रिकोण में बैठ जाए तो जातक अपार धन सम्पति का मालिक होता है।
- जब ग्यारहवें या दसवें भाव में सूर्य, चौथे और पांचवें भाव में मंगल हो या ग्रह इसके विपरीत स्थिति में हों तो व्यक्ति प्रशासनिक सेवाओं से धन-संपदा का मालिक बनता है।
- कुंडली के सातवें भाव में मंगल या शनि बैठे हों और ग्यारहवें भाव में केतु के अलावा कोई अन्य ग्रह बैठा हो, तो जातक व्यापार-व्यवसाय से अतुलनीय धन प्राप्त करता है। परन्तु केतु ग्यारहवें भाव में बैठा हो तो जातक विदेशी व्यापार से धन प्राप्त करता है।
- जिस जातक की कुंडली के त्रिकोण भावों या केन्द्र में गुरु, शुक्र, चंद्र और बुध ग्रह बैठे हों या फिर तीसरे, छठे और ग्यारहवें भाव में सूर्य, राहु, शनि, मंगल आदि ग्रह बैठे हो तब व्यक्ति राहु, शनि, शुक्र या बुध की दशा में अपर धन-संपत्ति प्राप्त करता है।
- यदि ११वें घर के स्वामी का सम्बन्ध १,२,अथवा १०वें घर या उनके स्वामियों से हो जाए तो दोहरा धन योग होता है। ऐसे जातक को एक से अधिक स्थानों से धन लाभ होता है।
- जिस जातक की कुंडली में शनि देव – तुला, मकर या कुंभ राशि में होते हैं वह अकाउंटेंट बनकर अपार धन अर्जित करता है।
- जिस कुंडली में बुध, शुक्र और गुरु किसी एक भाव में साथ बैठे हों तो ऐसा जातक उच्च कोटि का पुरोहित, पंडित, ज्योतिष, कथाकार या धर्म संस्था का प्रमुख अदि बनकर धनवान हो जाता है।
- जिस जातक की कुंडली में शनि, बुध और शुक्र एक साथ एक भाव में होते हैं उस जातक को व्यापार से अपार संपत्ति बना लेता है।
- अगर कुंडली के सातवें भाव में मंगल या शनि मौजूद हों और ग्यारहवें भाव में शनि, मंगल या राहु हो तो व्यक्ति शेयर मार्केट या जुए की सहायता से धन प्राप्त करता है।
- कुंडली में दसवें भाव का स्वामी वृषभ या तुला राशि में मौजूद हों और शुक्र या सातवें भाव का स्वामी दसवें भाव में हो तो व्यक्ति विवाह के बाद अपने साथी की कमाई से धनवान बनता है।
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ज्योतिष आचार्या
ममता वशिष्ट
अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक
कालका ज्योतिष अनुसन्धान संसथान