हमारे जीवन में कई प्रकार की समस्याएं आती जाती रहती हैं l दुःख और सुख हमारे जीवन का एक अंग है l इस पूरे संसार में ऐसा कोई मनुष्य नहीं जो पूर्ण रूप से सुखी हो l सुख दुःख का आना हमारे पूर्व जन्म के किये हुए कर्मो पर निर्धारित होता है l हमारे वर्तमान के कर्म भी हमारे जीवन को प्रभावित करते हैं l
क्या आपने कभी सोचा है के क्यों एक बच्चा पैदा होते ही अपंग, बीमार या गरीब होता है और कोई महलों में पैदा होता है जिसे बीमारी बहुत काम लगती है और सारा जीवन धन दौलत, बंगला, गाडी आदि से युक्त होता है l यह हमारे पूर्व जनम के कर्म ही होते हैं l
हम अपने पूर्व के किये हुए कर्मो को तो बदल नहीं सकते पर वर्तमान में अच्छे करम करके यहाँ अगले जन्म के लिए पुण्य एकत्रित करते हैं वहीं पूर्व के किये हुए पाप कर्मो के फल को भी हल्का करते हैं l जिससे हमें पूर्व जन्मों के किये हुए पाप कर्मो से मिलने वाला दण्ड हल्का हो जाता है और हम समस्सयाओं से सहज ही शूट जाते हैं l
उपाए एवं टोटके कई प्रकार के होते हैं जिनमे प्रमुख रूप से ग्रहों से सम्बंधित सामग्री को जल प्रवाह करना, धरती में दबाना, दान देना, खाना, जलना, शरीर पे धारण करना आदि हैं। हमारे ऋषि मुनियों के द्वारा लिखित कई ग्रंथों में उपायों एवं टोटकों के प्रमाण मिलते हैं। हमारे ग्रहों की उच्ता एवं नीचता के अनुसार ही ग्रहों के उपाए होते हैं। उपाए यहाँ हमें समस्याओं से बचाते हैं वही गलत किया हुआ उपाए घोर समस्याओं को न्योता देता है। इस लिए किसी भी परस्थिति में उपाए केवल किसी अच्छे एवं अनुभवी ज्योतिषी की रये से ही करें अन्यथा परिणाम गलत भी हो सकते हैं।
कुंडली में शुभ ग्रह अपने बल एवं शुभता के अनुसार जीवन में सुख, शांति, आनंद और सफलता पतदन करते हैं। वहीँ अशुभ ग्रह सर्व कार्यों में बाधाएं, रोग, चिंताएं,और दुर्घटनायें करवाते हैं। ग्रहों का शुभ या अशुभ प्रभाव हमारे पूर्व एवं वर्तमान के कर्मो पर निर्भर करता है। किसी अशुभ ग्रह की दशा में भी व्यक्ति वर्तमान में अच्छे कर्म कर उस अशुभ ग्रह के प्रभाव से बच सकता है। अशुभ ग्रहों के दुष्प्रभाव को समाप्त करने के लिए हमारे ऋषि मुनियों ने कई ऐसे कर्म उपाए के रूम में बताएं हैं जिन्हें करने के उपरांत अशुभ ग्रह की अशुभता समाप्त हो जाती है और वह शुभ फल प्रदान करने में समर्थ हो जाते हैं। परन्तु कोई भी उपाए करने से पहले किसी ज्योत्षी से कुंडली अवश्य दिखाएँ। अगर किसी भी ग्रह का उपाए गलत हो जाये जैसे कि किसी ग्रह को दबाना है और हमने उसे जल प्रवाह कर दिया तो यह हमें घोर विपत्ति में डाल सकता है। पीड़ित या अशुभ ग्रह की पीड़ा उसकी सामग्री को जल प्रवाह करने से, दबाना से, शरीर पे धारण करने से, दान करने से, या उसका सेवन करने से समाप्त होगी यह उस ग्रह के भाव, राशि, गुण, नीचता, वक्री होना, अस्त होना अदि पे निर्भर करता है। इसलिए किसी विशेषज्ञ के परामर्श से ही उपाए करें।
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