जानिए ज्योतिष एवं रोग विचार (Janiye Jyotish Evan Rog)

          प्राचीन काल से ही ज्योतिष से रोग जानने की विद्या हमारे देश में प्रचलित है। कुंडली में ग्रहों की स्थिति पूरे जीवन में होने वाले रोगों की जानकारी देती हैं। जीवन में होने वाले रोगों को जानने के लिए ज्योतिषीय विश्लेषण के लिए हमारे शास्त्रों मे कई सूत्र दिए हैं। जिनमें से कुछ प्रमुख सूत्र इस प्रकार से हैं :

ज्योतिष में रोग विचार :

  • षष्ठ स्थान
  • ग्रहों की स्थिति
  • राशियां
  • कारकग्रह

भावों का विश्लेषण :

  • प्रथम भाव : प्रथम भाव से शारीरिक कष्टों की एवं स्वास्थ्य का विचार होता है।
  • द्वितीय भाव : द्वितीय भाव आयु का व्ययसूचक हैं।
  • तृतीय भाव : तृतीय भाव से आयु का विचार होता है।
  • षष्ठ भाव : स्वास्थ्य , रोग के लिए । षष्ठ भाव का कारक मंगल, बुध ।
  • सप्तम भाव : सप्तम भाव आयु का व्ययसूचक हैं।
  • अष्टम भाव : अष्टम भाव का कारक गृह शनि एवं मंगल हैं। इस भाव से आयु एवं मृत्यु के कारक रोग का विचार होता है।
  • द्वादश भाव : द्वादश भाव रोग शारीरिक शक्ति की हानि के साथ साथ रोगों का उपचार स्थल भी है।

भाव स्वामी की स्थिति से रोग :

  • षष्ठ, अष्टम एवं द्वादश भाव के स्वामी जिस भाव में होते है उससे संबद्ध अंग में पीड़ा हो सकती है।
  • किसी भी भाव का स्वामी ६, ८ या १२वें में स्थित हो तो उस भाव से सम्बंधित अंगों में पीड़ा होती है।

रोगों के कारण :

  • यदि लग्न एवं लग्नेश की स्थिति अशुभ हो।
  • यदि चंद्रमा का क्षीर्ण अथवा निर्बल हो या चन्द्रलग्न में पाप ग्रह बैठे हों ।
  • यदि लग्न, चन्द्रमा एवं सूर्य तीनों पर ही पाप अथवा अशुभ ग्रहों का प्रभाव हो।
  • यदि पाप ग्रह का शुभ ग्रहों की अपेक्षा अधिक बलवान हों।

ग्रहों और बीमारी :

  • शनि : घुटनों या पैरों की दर्द, शारीरिक कमजोरी, दर्द व पेट दर्द, दांत, त्वचा, अस्थिभ्रंश, मांसपेशियां, लकवा, खांसी, बहरापन, दमा, अपच, स्नायुविकार ,खाँसी और नेत्र से सम्बन्धित रोग।
  • सूर्य : पित्त, नेत्र रोग, वर्ण, उदर, जलन, ह्रदय रोग, न्यूरोलॉजी, अस्थियों रोग, कुष्ठ रोग, ज्वर, मूर्च्छा, रक्तस्त्राव, मिर्गी ,धड़कन का अनियंत्रित होना, रक्त चाप, सिर से सम्बंधित रोग।
  • बृहस्पति : लीवर, किडनी, तिल्ली , मधुमेह, पीलिया, याददाश्त में कमी, जीभ, पिण्डलियां, मज्जा दोष, यकृत पीलिया, स्थूलता, दंत रोग, मस्तिष्क विकार ,पेट की गैस, फेफड़े, कर्ण से सम्बन्धित रोग।
  • मंगल : गर्मी, जिगर, व्रण, कुष्ठ, खुजली, विषजनित रोग, गर्दन, कण्ठ, रक्तचाप, मूत्र, ट्यूमर, कैंसर, अल्सर, दस्त, दुर्घटना में रक्तस्त्राव, पाइल्स, कटना, फोड़े-फुन्सी, ज्वर, अग्निदाह, चोट , पेट, नासूर, पित्त आमाशय, फोड़े, रक्त से सम्बन्धित रोग।
  • चंद्र : ह्रदय, फेफड़े , बायां नेत्र , अनिद्रा, अस्थमा, डायरिया, रक्ताल्पता, रक्तविकार, उल्टी ,किडनी , मधुमेह, ड्रॉप्सी, अपेन्डिक्स, कफ, मूत्रविकार, मुख, नासिका, पीलिया, मानसिक , दिल और आँखों से सम्बन्धित रोग।
  • बुध : छाती, नसें, नाक, मुख के रोग, चेचक, अस्थिभंग, ज्वर, विषमय, खुजली, कण्ठ रोग, टायफाइड, पागलपन, लकवा, मिर्गी, अल्सर, अजीर्ण, चर्मरोग, हिस्टीरिया, निमोनिया, विषम ज्वर, पीलिया, चक्कर आना, वाणी दोष, स्नायु रोग, नाड़ियों की कमजोरी, जीभ और दाँतों से सम्बन्धित रोग।
  • शुक्र : नपुंसकता, दृष्टि, जननेन्द्रिय , मूत्र, गुप्त रोग, अपच, गले के रोग, अन्तःस्त्रावी ग्रन्थियों, मिर्गी, पीलिया रोग, दाद, खुजली,त्वचा से सम्बन्धित रोग।
  • राहु : मस्तिष्क सम्बन्धी विकार, पागलपन, यकृत सम्बन्धी विकार, अचानक चोट, दुर्घटना, निर्बलता, चेचक, पेट में कीड़े, ऊंचाई से गिरना, कुष्ठ रोग, तेज दर्द, विषजनित परेशानियां, पशुओं या जानवरों से शारीरिक कष्ट, कैंसर, बुखार, दिमागी से सम्बन्धित रोग।
  • केतु : एलर्जी, वातजनित बीमारियां, रक्तदोष, चर्म रोग, जोड़ों का दर्द, सुस्ती, अकर्मण्यता, स्वप्न दोष, शरीर में चोट, घाव, आकस्मिक रोग ,परेशानी, कुत्ते का काटना, रीढ़, शुगर, कान, हार्निया, गुप्तांग संबंधी, रक्तदोष से सम्बन्धित रोग।

 

प्रिये मित्रों अपनी कुंडली में सर्व दोषों के स्थाई निवारण हेतु हमसे संपर्क करें।
संपर्क सूत्र : kalkajyotish@gmail.com

 

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ज्योतिष आचार्या
ममता वशिष्ट
अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक
कालका ज्योतिष अनुसन्धान संसथान

6 thoughts on “जानिए ज्योतिष एवं रोग विचार (Janiye Jyotish Evan Rog)

  1. हम बहुत ही मुसीबत में फसे हुए है…ओर इसका निदान आपके पास से ही होगा…हम बहुत जगह से हार चुके है…. अब आपके पास हमको आशा नही पूरा भरोसा है कि मेरा काम हो जाएगा… आपसे बात करना चाहते है हम…आपका अनुमति हो तो आप अपना फ़ोन no हमे दे

  2. दो वर्ष से पित्त की थैली में पथरी (२२एम एम) है, पित्ताशय को बचाते पथरी निकालने का उपाय चाहते हैं। कृपया मदद करें।

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