१६ कलायें (16 Kalayen)
यह समस्त संसार द्वंद्व धर्मों से आपूरित हैं, जितने भी यहाँ प्राणी हैं, वे सभी इन द्वंद्व धर्मों के वशीभूत हैं, किन्तु इस कला से पूर्ण व्यक्ति प्रकृति के इन बंधनों से ऊपर उठा हुआ होता हैं। वाक् सिद्धि : जो भी वचन बोले जाए वे व्यवहार में पूर्ण हो, […]