श्वेतार्क गणपति (Shwetaark Ganpati)

“गणानां जीवजातानां य: ईश: स्वामी स: गणेश:” अर्थात – जो समस्त जीव जाति के ईश-स्वामी हैं वह गणेश हैं। इनकी पूजा से सभी विघ्न नष्ट होते हैं।           वनस्पति तंत्र में कई ऐसी दुर्लभ वनस्पतियां एवं वृक्ष हैं जिनको हमारे देवी-देवताओं का प्रत्यक्ष स्वरूप माना गया है। इनका उपयोग जनकल्याण की […]

श्री गणपति कवच (Shri Ganpati Kavach)

॥ ॐ गण गणपतये नमः ॥ ॥ गौर्युवाच ॥ एषोऽतिचपलो दैत्यान्बाल्येऽपि नाशयत्यहो । अग्रे किं कर्म कर्तेति न जाने मुनिसत्तम ॥ १॥ दैत्या नानाविधा दुष्टाः साधुदेवद्रुहः खलाः । अतोऽस्य कण्ठे किंचित्त्वं रक्षार्थं बद्धुमर्हसि ॥ २॥ ॥ मुनिरुवाच ॥ ध्यायेत्सिंहहतं विनायकममुं दिग्बाहुमाद्ये युगेत्रेतायां तु मयूरवाहनममुं षड्बाहुकं सिद्धिदम् । द्वापारे तु गजाननं युगभुजं रक्ताङ्गरागं विभुम्तुर्ये तु द्विभुजं […]

यन्त्र क्या है (Yantra Kya Hai)

यन्त्र और मन्त्र को किसी भी प्रकार से अलग नहीं समझें यन्त्र एक शरीर है और मन्त्र उस शरीर की आत्मा। जैसे आत्मा शरीर में निवास करती है वैसे ही देवता सदैव यन्त्रों में निवास करते हैं। यन्त्र देवी देवताओं के प्रतीक एवं आवास ग्रह होते हैं। श्रीमद भगवत में कहा गया है कि देवी […]

मन्त्र क्या है (Mantra Kya Hai)

‘‘मन्त्रो हि गुप्त विज्ञानः’’ “अर्थात मन्त्र एक गुप्त विज्ञान है, जिससे गूढ़ रहस्य प्राप्त किये जा सकते हैं”           विश्व के सब धर्मों में मन्त्रों को विशेष स्थान प्राप्त है। मन्त्र की शक्ति और स्वरुप की व्याख्या करने पर कहा जा सकता है कि मन्त्र अविनाशी है, सर्व व्यापक हैं, नित्य […]

तन्त्र क्या है (Tantra Kya Hai)

          हर व्यक्ति के मन में तन्त्र, तांत्रिक या टोने-टोटके का नाम सुनते ही यह जिज्ञासा उठती है कि यह तन्त्र होता क्या है? तन्त्र एक ऐसी प्राचीन विद्या है जो की शरीर पर खुद का नियंत्रण बढ़ाती है। आम तौर पर देखा जाए तो तन्त्र की परिभाषा बहुत ही सरल है तन्त्र […]

काल भैरव जी के कलयाणकारी प्रयोग (Kaal Bhairav Ji Ke Kaleyankari Priyog)

          तंत्राचार्यों का मानना है कि वेदों में जिस परम पुरुष का चित्रण रुद्र में हुआ, वह तंत्र शास्त्र के ग्रंथों में उस स्वरूप का वर्णन ‘भैरव’ के नाम से किया गया, जिसके भय से सूर्य एवं अग्नि तपते हैं। भगवान शंकर के अवतारों में भैरव जी का अपना एक विशिष्ट […]

जन कल्याण हेतु शाबर मंत्र (Jan Kalyan Hetu Shabar Mantra)

ग्रह-बाधा-शान्ति मन्त्र : “ऐं ह्रीं क्लीं दह दह ।” विधि : सोम-प्रदोष से ७ दिन तक, माल-पुआ व कस्तूरी से उक्त मन्त्र से १०८ आहुतियाँ दें । इससे सभी प्रकार की ग्रह-बाधाएँ नष्ट होती हैं । सर्व-शुभ-दायक मन्त्र : ” ॐ ख्रीं छ्रीं ह्रीं थ्रीं फ्रीं ह्रीं ।” विधि : उक्त मन्त्र का सदैव स्मरण करने से […]

कार्य सिद्धि हेतु गोरक्षनाथ मंत्र ( Karya Sidhi Hetu Gorakhnath Mantra)

॥ मन्त्र ॥ “ॐ गों गोरक्षनाथ महासिद्धः, सर्व-व्याधि विनाशकः । विस्फोटकं भयं प्राप्ते, रक्ष रक्ष महाबल ॥ १॥ यत्र त्वं तिष्ठते देव, लिखितोऽक्षर पंक्तिभिः । रोगास्तत्र प्रणश्यन्ति, वातपित्त कफोद्भवाः ॥ २ ॥ तत्र राजभयं नास्ति, यान्ति कर्णे जपाः क्षयम् । शाकिनी भूत वैताला, राक्षसा प्रभवन्ति न ॥ ३ ॥ नाऽकाले मरणं तस्य, न च सर्पेण […]

श्री नवग्रह चालीसा (Shri Navgreh Chalisa)

॥ चौपाई ॥ श्री गणपति गुरुपद कमल, प्रेम सहित सिरनाय। नवग्रह चालीसा कहत, शारद होत सहाय॥ जय जय रवि शशि सोम बुध जय गुरु भृगु शनि राज। जयति राहु अरु केतु ग्रह करहुं अनुग्रह आज॥ ॥ श्री सूर्य स्तुति ॥ प्रथमहि रवि कहं नावौं माथा, करहुं कृपा जनि जानि अनाथा। हे आदित्य दिवाकर भानू, मैं मति […]

श्री भगवती स्तोत्र (Shri Bhagwati Stotra)

॥ ॐ गण गणपतये नमः ॥ जय भगवति देवि नमो वरदे जय पापनिवाशिनि बहुफलदे । जय शुम्भ-निशुम्भ कपालधरे प्रणमामि तु देवि नरार्तिहरे ॥ १॥ जय चन्द्रदिवाकर-नेत्रधरे जय पावकभूषितवक्त्रवरे । जय भैरवदेहनिलीनपरे जय अन्धकदैत्यविशोषकरे ॥ २॥ जय महिषविमर्दिनिशूलकरे जय लोकसमस्तकपापहरे । जय देवि पितामहविष्णुनुते जय भास्करशक्रशिराऽवनते ॥ ३॥ जय षण्मुख-सायुध-ईशनुते जय सागरगामिनि शम्भुनुते । जय दुःख-दरिद्र-विनाशकरे […]