उपचारों में रेकी देने की अवस्थाएं भाग ३ (Upcharon Mein Reiki Dene Ki Avasthayen Part 3)
१. आज्ञा चक्र + मूलाधार चक्र + रोग ग्रस्त स्थान पर : हड्डियों एवं जोड़ों के दर्द को ठीक करने के लिए। स्फूर्ति एवं चेतना प्राप्त करने के लिए। गुप्तांगों की बिमारियों को ठीक करने के लिए ऊर्जा को बढ़ने के लिए। सुस्ती एवं शरीर के भारीपन को दूर करने के लिए। अस्थिर एवं बेकार […]
उपचारों में रेकी देने की अवस्थाएं भाग २ (Upcharon Mein Reiki Dene Ki Avasthayen Part 2)
१. मणिपुर चक्र + मूलाधार चक्र : हर प्रकार की एलर्जी से मुक्ति पाने के लिए। मौसम के बदलाव के कारन होने वाली बिमारियों से मुक्ति पाने के लिए। सूंघने की क्षमता क्षीण होने की स्थिति में बचाव के लिए। पुरानी दुखद यादों से मुक्ति पाने के लिए। किसी भी प्रकार की घृणा के विचारों […]
उपचारों में रेकी देने की अवस्थाएं भाग १ (Upcharon Mein Reiki Dene Ki Avasthayen Part 1)
१. आज्ञा चक्र + हृदय चक्र : तनाव से मिकतु पाने के लिए। क्रोध, घबराहट एवं चिंता को समाप्त करने के लिए। अपनी एवं दूसरों की भावनाओं को समाप्त करने के लिए। आत्मा की जाग्रति बढ़ने के लिए। लक्षय को पाने हेतु आत्म बल बढ़ने के लिए। स्मरण शक्ति बढ़ने के लिए। नींद के कारन […]
शाबर मंत्र प्रयोग एवं सम्पूर्ण विधि (Shabar Mantra Prayog Evam Sampooran Vidhi)
शाबर मंत्रों को सिद्ध करने से पहले गुरू और गणेश जी की पूजा आराधना करनी चाहिए। सबसे पहले चारमुख का दिया जलाकर निम्न मंत्र का सात बार जाप कर गुरू का आह्वान करें। मंत्र : गुरू दिन गुरू बाती, गुरू सहे सारी राती, वास्तीक दियना, बार के गुरू के उतारौं आरती। फिर निम्न मंत्र द्वारा […]
घर की रक्षा हेतु शाबर मंत्र (Ghar Ki Raksha Hetu Shabar Mantra)
कभी-कभी किसी स्थान आदि के प्रभाव के कारण नकारात्मक शक्तियाँ अपना प्रभाव दिखाना शुरू कर देती है। ये नकारात्मक शक्तियाँ जैसे : नजर के दोष, भूत-प्रेत जैसी ऊपरी बाधा का आना मानसिक व शारीरिक रूप से कमजोर व्यक्ति को अपना शिकार बनाती है। उसके साथ ही ये शक्तियाँ ऐसे व्यक्तियों के […]
डॉ: नारायण दत्त श्रीमाली (निखिलेश्वरानंद) जी की जीवनी (Dr. Narayan Dutt Shrimali (Nikhileshwaranand) Ji Ki Jeevni)
ॐ गुं गुरूभ्यो नमः ॐ परम तत्वाय नारायणाय गुरूभ्यो नमः सद्गुरूदेव डॉ. नारायण दत्त श्रीमाली (निखिलेश्वरानंद) जी का जन्म २१ अप्रैल १९३५ में राजस्थान में खरन्टिया क्षेत्र में हुआ। गुरुदेव जी के पिता श्री जी का नाम पंडित मुल्तान चन्द्र श्रीमाली था। आप का सन्यासी नाम श्री स्वामी निखिलेश्वरानंद जी […]
बिल्ली की जेर या नाल (Billi Ki Jer Ya Naal)
धन के आभाव या धनहीनता के कारन व्यक्ति कई सुखों से वंचित रह जाता है। हर व्यक्ति के मन की यह इच्छा होती है कि उसके पास इतना सारा धन हो की वह उससे अपनी सभी इच्छाएं पूर्ण कर सके। दूसरी तरफ कुछ ऐसे लोग भी होते है जिनके पास […]
गोमती चक्र के अचूक प्रयोग (Gomti Chakra Ke Achook Prayog)
यदि कोई बच्चा शीघ्र ही डर जाता है, तो प्रथम मंगलवार को अभिमंत्रित गोमती चक्र पर हनुमान जी के दाएं कन्धे का सिन्दूर लेकर तिलक कर किसी लाल कपड़े में बांधकर बच्चे के गले में पहना दें। बच्चे का डरना समाप्त होगा। यदि दुश्मन तंग कर रहे हों तो तीन गोमती चक्रों पर दुश्मन के […]
यज्ञ क्या है (Yagya Kya Hai)
यज्ञ का अर्थ है- शुभ कर्म। श्रेष्ठ कर्म। सतकर्म। वेदसम्मत कर्म। सकारात्मक भाव से ईश्वर-प्रकृति तत्वों से किए गए आह्वान से जीवन की प्रत्येक इच्छा पूरी होती है। यज्ञ भारतीय संस्कृति का प्रतीक है। हिन्दू धर्म में जितना महत्व यज्ञ को दिया गया है उतना ओर किसी को नहीं दिया […]
इच्छा अनुसार संतान प्राप्ती (Ichha Anusar Santan Prapti)
विवाहोपरांत दंपति को संतान प्राप्ति की प्रबल उत्कंठा होती है। आज जब लडकियां भी पढ लिखकर काफ़ी उन्नति कर रही हैं तो भी अधिकांश दंपतियों की दबे छुपे मन में पुत्र संतान ही प्राप्त करने की इछ्छा रखते हैं। यों तो संतान योग जातक की जन्मकुंडली में जैसा भी विद्यमान […]