केमद्रुम योग (Kemdrum Yog)

केमद्रुमे भवति पुत्रकलत्रहीनो देशान्तरे दु:खसमाभितप्त ज्ञातिप्रमोदनिरतो मुखर: कुचैलो नीच सदा भवति भीतियुतश्चिरायु:           जातक की जन्म कुंडली में बनाने वाला यह एक अशुभ योग है। इस योग के चलते जातक मानसिक रोगों का शिकार हो जाता है । इस योग के कारण जातक के जीवन में अधूरापन सदैव बना रहता हैं […]

Posted in ज्योतिष ज्ञान (Jyotish Gyan-Astrology) | Leave a comment

पुराणों में ३६ नरक (Purano Mein 36 Narak)

          हिंदू धर्म के पौराणिक ग्रंथों में 36 तरह के मुख्य नर्कों का वर्णन किया गया है। पुराणों के अनुसार स्वर्ग वह स्थान होता है जहां देवता रहते हैं और अच्छे कर्म करने वाले इंसान की आत्मा को भी वहां स्थान मिलता है, इसके विपरीत बुरे काम करने वाले लोगों को […]

Posted in Uncategorized | Leave a comment

राशि अनुसार धारण करें रुद्राक्ष (Rashi Anusar Dhaaran Karen Rudraksh)

          शिवपुराण के अनुसार, रुद्राक्ष की उत्पत्ती स्वयं भगवान शिव के आंसू से हुई थी। जिसके चलते इसे बेहद शुभ माना जाता है। इसे पहनने पर बुरे से बुरा समय खत्म हो सकता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सभी राशियों के लिए अलग-अलग रुद्राक्ष फायदेमंद होते हैं। ऐसे में आपके लिए […]

Posted in ज्योतिष ज्ञान (Jyotish Gyan-Astrology) | Leave a comment

योनि का फल (Yoni Ka Fal)

          जब भी आप अपनी जन्म कुंडली देखेंगे तो उसमे आपकी योनि का नाम लिखा होगा। हमारे ग्रंथों में ८४ लाख योनियां बताई गई हैं, अर्थात संसार में इतने प्रकार के प्राणी मौजूद हैं। मनुष्य योनि सबसे उत्तम है और सभी योनियों का मध्य माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र कहता है […]

Posted in ज्योतिष ज्ञान (Jyotish Gyan-Astrology) | Leave a comment

हस्त मुद्रा चिकित्सा (Hast Mudra Chikitsa)

          पांच तत्वों पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु एवं आकाश से बना मनुष्य का शरीर अनन्त रहस्योंसे भरा हुआ है। शरीर के रोगों को जड़ से समाप्त करने हेतु योग, रेकी, मंत्र, तंत्र, ध्यान और हस्त मुद्रा अदि विशेष रूप से प्रयोग होते हैं। शरीर की अपनी एक मुद्रामयी भाषा है। जिसे […]

Posted in Uncategorized | Leave a comment

सूतक-पातक क्या है (Sootak Paatak Kya Hai)

          घर में जब कोई बच्चा जन्म लेता है तो उस घर में रहने वाले जातक व उसके सम्पूर्ण कुल को सूतक लग जाता है और यदि कोई मृत्यु हो जाये तो पातक लगेगा। सूतक या पातक में मंदिर में प्रवेश नहीं करते किन्तु इसके पीछे क्या कारन है यह भी […]

Posted in ज्योतिष ज्ञान (Jyotish Gyan-Astrology) | Leave a comment

श्वेतार्क गणपति (Shwetaark Ganpati)

“गणानां जीवजातानां य: ईश: स्वामी स: गणेश:” अर्थात – जो समस्त जीव जाति के ईश-स्वामी हैं वह गणेश हैं। इनकी पूजा से सभी विघ्न नष्ट होते हैं।           वनस्पति तंत्र में कई ऐसी दुर्लभ वनस्पतियां एवं वृक्ष हैं जिनको हमारे देवी-देवताओं का प्रत्यक्ष स्वरूप माना गया है। इनका उपयोग जनकल्याण की […]

Posted in तंत्र मंत्र यंत्र ज्ञान (Tantra Mantra Yantra Gyan) | Leave a comment

श्री गणपति कवच (Shri Ganpati Kavach)

॥ ॐ गण गणपतये नमः ॥ ॥ गौर्युवाच ॥ एषोऽतिचपलो दैत्यान्बाल्येऽपि नाशयत्यहो । अग्रे किं कर्म कर्तेति न जाने मुनिसत्तम ॥ १॥ दैत्या नानाविधा दुष्टाः साधुदेवद्रुहः खलाः । अतोऽस्य कण्ठे किंचित्त्वं रक्षार्थं बद्धुमर्हसि ॥ २॥ ॥ मुनिरुवाच ॥ ध्यायेत्सिंहहतं विनायकममुं दिग्बाहुमाद्ये युगेत्रेतायां तु मयूरवाहनममुं षड्बाहुकं सिद्धिदम् । द्वापारे तु गजाननं युगभुजं रक्ताङ्गरागं विभुम्तुर्ये तु द्विभुजं […]

Posted in तंत्र मंत्र यंत्र ज्ञान (Tantra Mantra Yantra Gyan) | Leave a comment

यन्त्र क्या है (Yantra Kya Hai)

यन्त्र और मन्त्र को किसी भी प्रकार से अलग नहीं समझें यन्त्र एक शरीर है और मन्त्र उस शरीर की आत्मा। जैसे आत्मा शरीर में निवास करती है वैसे ही देवता सदैव यन्त्रों में निवास करते हैं। यन्त्र देवी देवताओं के प्रतीक एवं आवास ग्रह होते हैं। श्रीमद भगवत में कहा गया है कि देवी […]

Posted in तंत्र मंत्र यंत्र ज्ञान (Tantra Mantra Yantra Gyan) | Leave a comment

मन्त्र क्या है (Mantra Kya Hai)

‘‘मन्त्रो हि गुप्त विज्ञानः’’ “अर्थात मन्त्र एक गुप्त विज्ञान है, जिससे गूढ़ रहस्य प्राप्त किये जा सकते हैं”           विश्व के सब धर्मों में मन्त्रों को विशेष स्थान प्राप्त है। मन्त्र की शक्ति और स्वरुप की व्याख्या करने पर कहा जा सकता है कि मन्त्र अविनाशी है, सर्व व्यापक हैं, नित्य […]

Posted in तंत्र मंत्र यंत्र ज्ञान (Tantra Mantra Yantra Gyan) | Leave a comment